नई दिल्ली। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने देशभर के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने की एक बड़ी मुहिम शुरू की है। इसकी शुरुआत केंद्रीय विश्वविद्यालयों से की गई है, जिसे अब आगे बढ़ाते हुए देशभर के सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों को भी जोड़ा गया है। इन सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को फिलहाल शिक्षकों के खाली पड़े पदों को तेजी से भरने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही शिक्षकों के खाली पदों का ब्योरा 31 दिसंबर तक देने को कहा गया है।
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों को दिए निर्देश
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देशभर के सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों को इस संबंध में दिए गए अपने निर्देश में कहा है कि जितनी जल्द ही वह शिक्षकों के खाली पदों को भरने का काम पूरा करें। इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी भी उन्हें दें। यूजीसी के मुताबिक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देशभर में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए जिस तेजी के साथ मुहिम छेड़ी गई है, उनमें शिक्षकों के खाली पदों को भरना बेहद जरूरी है क्योंकि इसके बगैर इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल है। बता दें कि नीति में भी शिक्षकों के खाली पदों को भरने पर जोर दिया गया है।
हाल ही में नीति के सुझावों पर अमल करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया था कि वे जल्द से जल्द शिक्षकों के खाली पदों को भरें। बता दें कि प्रधान के इस निर्देश के बाद अब तक दर्जनभर से ज्यादा केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन भी जारी कर दिया है। साथ ही सहायक प्रोफेसर की योग्यता मानक को भी अगले दो साल तक के लिए थोड़ा शिथिल किया है। इसके तहत अब बगैर पीएचडी के सिर्फ नेट के आधार पर इसके लिए आवेदन कर सकेंगे।
छह हजार से अधिक शिक्षकों के खाली पद
वहीं मंत्रालय से प्राप्त आकड़ों के अनुसार देश भर के विश्वविद्यालयों में कुल 6229 टीचिंग पद खाली हैं। इनमें से 1012 अनुसूचित जाति, 592 अनुसूचित जनजाति, 1767 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 805 ईडब्ल्यूएस और 350 दिव्यांग श्रेणी के रिक्त हैं। वहीं, शेष जनरल कटेगरी के पद हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय सहित 44 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से 15 यूनिवर्सिटी में स्वीकृत टीचर्स के पदों में से 40% से अधिक रिक्त हैं। इसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय और ओडिशा के केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षण पदों पर 70% से अधिक पद खाली हैं।