गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 344 शिक्षक व कर्मचारियों पर नौ करोड़ रुपये बकाए का मामला अभी तक सुलझ नहीं सका है। जिला सहकारी बैंक ने इस महीने फिर नोटिस भेजकर रकम जमा कराने की बात कही है। साथ में बैलेंस शीट व सूचीवार बकाए की रकम नहीं देने पर सभी सदस्यों को व्यक्तिगत नोटिस भेजने को कहा है। नोटिस आने के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है।
दरअसल, गोरखपुर विश्वविद्यालय वेतन भोगी समिति के माध्यम से वर्ष 2012 में 4.75 करोड़ का लोन 344 शिक्षक, कर्मचारियों को दिया गया। बकाएदारों में एक कुलपति और सात विभागाध्यक्ष भी हैं। सहकारी बैंक समिति का खाता गोलघर स्थित सहकारी बैंक में है। जो अब मुख्य शाखा में आ गया है। बैंक का आरोप है कि सदस्यों ने समिति के मार्फत लोन लिया था। लेकिन रकम नहीं चुकाई। इनमें विश्वविद्यालय के 344 शिक्षक और कर्मचारी शामिल हैं। इतना ही नहीं कुछ शिक्षक और कर्मचारी तो सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। साथ ही कुछ का निधन भी हो चुका है।
लोन जमा किया है तो साक्ष्य दें
जिला सहकारी बैंक के डीजीएम वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बैंक की ओर से बकाए ऋण की वसूली के लिए प्रयास किया जा रहा है। गोरखपुर विश्वविद्यालय वेतन भोगी समिति के सचिव नोटिस भेजा गया है। समिति ने वर्ष 2015-16 तक की बैलेंस शीट जमा की है। शिक्षक व कर्मचारियों ने अगर ऋण चुकाया है तो खाते से कटौती की स्लिप या जमा करने की पावती उपलब्ध कराएं। इस संबंध में कुलपति और डीएम के सामने भी मामला उठाया गया है। डीएम ने समीक्षा बैठक में वसूली को लेकर निर्देश भी दिया है। अगर समिति ने रुचि नहीं ली तो सदस्यों के नाम से भी नोटिस जारी होगा।
गोविवि वेतन भोगी समिति के सचिव त्रिभुवन तिवारी ने बताया कि वर्ष 2017 तक का हिसाब दे चुका हूं। बहुत सारे शिक्षक-कर्मचारियों ने लोन जमा किया है। जल्द ही 2021 तक की बैलेंस शीट दे दी जाएगी। कुछ ही कर्मचारियों पर बकाया है, उन्हें रिकवरी का नोटिस जारी करेंगे।
शिक्षकों और कर्मियों में नाराजगी
लोन को लेकर लगातार नोटिस आने से शिक्षक व कर्मचारियों में नाराजगी है। उनका कहना है कि जब हमने लोन जमा कर दिया है तो बकाएदारी किस बात की है। कई कर्मचारी सेवानिवृत्त होने वाले हैं, नोड्यूज नहीं मिलने पर उनकी पेंशन फंस सकती है।