सिद्धार्थनगर। फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी करते पकड़े गए छह शिक्षकों की बर्खास्तगी के बाद भी उन पर केस दर्ज नहीं कराया जा रहा है। पांच नए शिक्षकों की रिपोर्ट एसटीएफ की ओर से मांगी गई गई है, जिसके बाद पांचों का वेतन रोक दिया गया है। एफआईआर की कार्रवाई न होने विभागीय जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो रहा है।
बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों के पकड़े जाने का सिलसिला जारी है। एसटीएफ के हाथ में जांच आने के बाद गड़बड़झाला करने वालों की सूची लंबी होती जा रही है। वर्ष 2017-18 में भंडाफोड़ हुआ तो बड़े पैमाने में शिक्षक चिह्नित किए गए। हालांकि बर्खास्तगी और मुकदमे की कार्रवाई 103 शिक्षकों पर हो चुकी है।
अक्तूबर माह के दूसरे सप्ताह में कागजी जांच में छह ऐसे शिक्षक मिले थे, जिन पर 25 वर्ष से फर्जी तरीके से नौकरी करने तथा वेतन लेने का आरोप है। एक माह पूरा होने का हो, अब तक उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। जबकि फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने का नियम है।
वहीं पांच और शिक्षकों के मामले में गड़बड़ी होने की आशंका को देखते हुए एसटीएफ ने बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र देकर उनकी रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में जांच रिपोर्ट देने के साथ ही पांचों का वेतन भी रोका गया है। बीएसए देवेंद्र पांडेय ने बताया कि केस दर्ज कराने के लिए निर्देशित किया गया है। कार्रवाई सभी पर होगी।