नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में पढ़ रहे 29,411 बच्चों को इस साल बिना किताब-कॉपी व यूनिफार्म के ही पढ़ाई करनी पड़ रही है। दरअसल, अभिभावकों को मिलने वाली वित्तीय सहायता के 14 करोड़ 70 लाख रुपये सरकार के पास फंसे हैं। वहीं, शुल्क प्रतिपूर्ति के तहत निजी विद्यालयों के 14 करोड़ 45 रुपये की धनराशि भी नहीं मिल सकी है। निजी स्कूल एसोसिएशन शिक्षा अधिकारियों के दरवाजे खटखटा रहे हैं, कहीं से कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा शासन के फेर में जहां बच्चों के भविष्य पर संकट है। वहीं, अभिभावकों को परेशानी हो रही है।
जिले में 2020-21 में नवप्रवेशी 1905 बच्चों में 1145 बच्चों के लिए शासन ने मार्च 2020 में 99 लाख की धनराशि अवमुक्त तो की लेकिन बाकी 29 हजार बच्चों के अभिभावकों को अब तक इस मद का एक भी रुपया नहीं मिला है। ऐसे में ये बच्चे जुगाड़ के सहारे भविष्य संवारने में लगे हैं। किताब न होने के कारण कई बच्चे पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ शासन से पैसा न मिलने के कारण अभिभावक अपने बच्चों के लिए ठंड में यूनिफार्म का स्वेटर भी नहीं खरीद पा रहे हैं। ऐसे में बढ़ती ठंड में बच्चाें को ठिठुरते हुए स्कूल जाना पड़ रहा है। कई बच्चे यूनिफार्म के अभाव में अलग-अलग रंग के ड्रेस पहनकर आ रहे हैं।
अधिकारियों के चक्कर लगा रहा एसोसिएशन
अभिभावकों की ही तरह निजी विद्यालय भी शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए शिक्षा अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। विद्यालय प्रबंधन कई बार आवाज उठा चुके हैं। बनारस इंडिपेंडेंट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रविप्रकाश जायसवाल के साथ ही प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष रामाश्रय पटेल की अध्यक्षता में हुई बैठक में समय से पैसा न मिलने पर नाराजगी जाहिर की गई थी। रामाश्रय पटेल का कहना है कि सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द भुगतान कर दे।
किस मद में चाहिए कितनी धनराशि
पूर्व प्राथमिक कक्षा के शुल्क प्रतिपूर्ति के तहत 11 करोड़ 29 लाख
कक्षा एक व उससे ऊपर के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति के 3 करोड़ 41 लाख
निजी स्कूलों में पढ़ने वाले कुल छात्र 30,556
निजी स्कूलों को शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए 14 करोड़ 45 लाख
वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या 29,411
वित्तीय सहायता के लिए 14 करोड़ 70 लाख
सरकार द्वारा शुल्क प्रतिपूर्ति व वित्तीय सहायता के लिए 28 करोड़ 77 लाख
जिन बच्चों को यूनिफार्म और किताब की सहायता राशि नहीं मिल सकी है। उनके लिए मांग पत्र बनाकर शासन को भेजा गया है। बजट आवंटित होते ही भुगतान किया जाएगा।
– विमल कुमार केशरी, जिला समन्वयक आरटीई