अब शिक्षकों में होगी प्रदेश के शिक्षामित्रों की गणना, शासन ने जताई सहमति,मिले यह संकेत
प्रदेश के शिक्षामित्र अभी तक शिक्षक का पदनाम तो नहीं पा सके हैं, लेकिन उनकी गणना शिक्षकों में किये जाने पर सहमति बन गयी है। यही नहीं विद्यालयों के छात्र शिक्षक अनुपात में भी शिक्षामित्रों की गणना शिक्षकों के साथ ही की जायेगी।
प्रदेश भर में लगभग डेढ़ लाख शिक्षामित्र हैं, जो लंबे अर्से से स्वयं को शिक्षक पद पर समायोजित करने की मांग करते आ रहे हैं। बीते दिनों शिक्षा विभाग के अधिकारियों से शिक्षामित्रों के संगठनों की वार्ता के बाद शिक्षामित्रों के साथ शासन ने सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाते हुए उनकी स्थिति बेहतर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि शासन में छात्रशिक्षक अनुपात में शिक्षामित्रों की गणना शिक्षकों के साथ किये जाने पर सहमति बन गयी है।
दरअसल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक स्कूलों में 30 छात्रों पर एक शिक्षक रखे जाने की व्यवस्था है। छात्र शिक्षक अनुपात जब भी देखा जाता है, अभी तक शिक्षक संख्या में शिक्षामित्रों को नहीं गिना
जाता है। अधिकारियों के साथ समस्या निस्तारण बैठक में शिक्षामित्रों के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने 12 माह की सेवा और 62 वर्ष की आयु पर सेवानिवृत्ति देने की मांग रखी है। इसके अलावा शिक्षामित्रों के लिये सेवा नियमावली बनाने, सालाना 14 अवकाश अनुमन्य करने और निधन होने पर आश्रित को नौकरी दिये जाने, शिक्षकों को नियुक्ति के समय दिये जाने वाला वेतन शिक्षामित्रों को भी देने और 69 हजार शिक्षक भर्ती में नियुक्ति पत्र न पाने वाले 138 शिक्षामित्रों को नियुक्तिपत्र देने जैसी मांगें भी की गयी हैं।
इसके साथ ही शिक्षामित्रों को स्थाई करने और घोषणा के अनुरूप बढ़ा हुआ मानदेय दिये जाने की मांग भी की गयी। इन तमाम मांगों पर अधिकारियों ने मुख्यमंत्री द्वारा निर्णय लिये जाने की बात कही, लेकिन यह संकेत जरूर दे दिये कि शिक्षामित्रों की गणना शिक्षकों के साथ की जायेगी। इसे लेकर शिक्षामित्रों का कहना है कि उनकी सभी मांगें पूरी की जानी चाहिये।