इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तथ्य छिपाकर याचिका दाखिल करने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी है। मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान दो जजों की खंडपीठ ने गोरखपुर के राम जतन सहित 83 अन्य की याचिका पर यह फैसला सुनाया है।
याचिका में कहा गया था कि याचियों की जमीन बिना अधिग्रहीत किए जबरन ली जा रही है। नगर निगम उनकी जमीन पर सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाना चाहता है। याचियों की जमीन बेचने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए डीएम से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा था। डीएम ने व्यक्तिगत हलफनामें में कोर्ट को बताया कि प्लांट सुथनी गांव के 108 किसानोंकी जमीन पर बन रहा है।
सभी ने अपनी मर्जी से जमीन बेची है और पैसा इनके खाते में जमा कर दिया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई। कहा कि साफ हृदय से कोर्ट आने वाले को राहत दी जा सकती है। तथ्य छिपाकर याचिका दाखिल करने वालों को राहत नहीं दी जा सकती है और न तो संरक्षण दिया जा सकता है। हाईकोर्ट ने हर्जाना राशि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोरखपुर में जमा करने का निर्देश दिया है।