इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कस्तूरबा विद्यालयों में पढ़ाने के लिए अध्यापक के पास किसी विषय की विशेषज्ञता होने को जरूरी नहीं माना है। कहा है कि अपर प्राइमरी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए एनसीटीई द्वारा निर्धारित योग्यता रखने वाला अध्यापक इनमें पढ़ा सकता है।
मतलब कोई अध्यापक जो प्रशिक्षित स्नातक है और टीईटी उत्तीर्ण है, यहां पढ़ाने के लिए सही माना जाएगा। कोर्ट ने विषय विशेषज्ञता के आधार पर असंगत पाए गए अध्यापकों का संविदा नवीनीकरण नहीं करने संबंधी सर्कुलर रद्द कर दिया है। कुलदीप सक्सेना और 19 अन्य सहित दर्जनों याचिकाओं पर यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने दिया है।
याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि परियोजना निदेशक ने 14 जुलाई 2020 को एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें कस्तूरबा विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापकों का वर्गीकरण करने का निर्देश दिया। इसके मुताबिक अध्यापकों की दो श्रेणी बनानी थी। एक संगत और दूसरी असंगत।
असंगत श्रेणी में उन अध्यापकों को रखा गया जिनके पास उस विषय, जिसे वह पढ़ा रहे हैं, उसकी विशेष योग्यता नहीं है। इसी प्रकार से फुलटाइम व पार्टटाइम अध्यापकों में अंतर किया गया। जो अध्यापक रात्रि के समय विद्यालय में निवास करते हैं, उनको फुलटाइम और जो सिर्फ कुछ घंटों के लिए जाते हैं, उनको पार्टटाइम माना गया।
याची के अधिवक्ताओं का कहना था कि सर्कुलर भेदभाव पूर्ण है। इसे जारी करते समय एनसीटीई और बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित प्रावधानों का ध्यान नहीं रखा गया। कोर्ट ने कहा कि जूनियर हाईस्कूल तक पढ़ाने के लिए एनसीटीई ने जो योग्यता निर्धारित की है, वह प्रशिक्षित स्नातक और टीईटी उत्तीर्ण की है। इसकी योग्यता रखने वाले अध्यापकों से अपेक्षा की जाती है कि वह जूनियर हाईस्कूल तक सभी विषय पढ़ाने में सक्षम हैं। एनसीटीई ने किसी विषय को पढ़ाने के लिए उसमें विशेषज्ञता का प्रावधान नहीं किया है।
14 जुलाई 2020 के सर्कुलर में एनसीटीई द्वारा निर्धारित अर्हता पर विचार नहीं किया गया और न ही बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा तय किए गए पाठ्यक्रम का ध्यान रखा गया। विभाग ने मान लिया आरटीई एक्ट में दिए गए विषय व्यापक हैं और इसके अतिरिक्त कुछ और पढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने सर्कुलर रद्द करते हुए कस्तूबरा विद्यालयों में पढ़ा रहे अध्यापकों को नियमित रूप से मानदेय भुगतान का निर्देश दिया है।