प्रयागराज। 69 हजार शिक्षक भर्ती की तीसरी काउंसलिंग के तहत नियुक्ति पाए शिक्षकों को अब तक वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। शैक्षिक पत्रों का सत्यापन वेतन की राह में रोड़ा बना हुआ है। वेतन न मिलने से इन शिक्षकों के सामने आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है। शिक्षकों की मांग है कि पिछले शासनादेश के अनुक्रम में नवनियुक्त शिक्षकों से शपथ पत्र लेकर वेतन भुगतान किया जाए।
सूबे में परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 69000 शिक्षक भर्ती के तहत तृतीय चरण की काउंसलिंग में 26 जून को 6696 शिक्षकों की नियुक्ति मिली थी। जिले में 90 पदों के सापेक्ष कुल 75 शिक्षकों को 23 जुलाई को नियुक्ति पत्र दिया गया था। नियुक्ति के बाद यह सभी शिक्षक बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में उपस्थिति दर्ज करा रहे थे।
तीन माह के इंतजार के बाद इन्हें विद्यालय आवंटन हुआ। विद्यालय आवंटन तो हो गया, लेकिन अब तक इन शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है। शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन न होने की वजह से इन्हें वेतन नहीं मिल रहा है। इनमें से तमाम शिक्षक ऐसे हैं जो दूर के जिलों के रहने वाले हैं। यहां किराए पर कमरा लेकर रह रहे हैं। साथ ही प्रतिदिन 40-50 किलोमीटर सफर करके शिक्षण का कार्य करने विद्यालय जाते हैं।
ऐसे में वेतन न मिलने से कमरे का किराया, बस का किराया तथा खाने-पीने आदि का प्रबंध करने में आर्थिक तंगी आड़े आ रही है। इन नवनियुक्त शिक्षकों का कहना है कि इसके पहले 69000 शिक्षक भर्ती के पिछले 2 चरणों की काउंसलिंग में नियुक्ति पाए शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन न होने की स्थिति में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा ने19 मई को शासनादेश जारी करके ऐसे शिक्षकों का वेतन शपथपत्र के आधार पर जारी करने को कहा था। अब इन अभ्यर्थियों की मांग है कि उसी शासनादेश के आधार पर तृतीय चरण में नियुक्त शिक्षकों को वेतन का भुगतान किया जाए। अभ्यर्थियों का यहां तक कहना है कि कई जिलों में नवंबर महीने में वेतन भुगतान की कार्रवाई शुरू हो गई है, लेकिन प्रयागराज की ही तरह बहुत से जिलों में नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पा रहा है।