झांसी। सरकार जहां स्मार्ट शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ परिषदीय स्कूलों का हाल बेहाल है। नगर क्षेत्र के स्कूलों की हालत यह है कि कहीं लाइट नहीं है, तो कहीं बच्चों को पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा है। कई स्कूलों में फर्नीचर नहीं होने से बच्चे आज भी जमीन पर बैठकर पढ़ रहे हैं। इसके अलावा स्कूलों में गंदगी का अंबार है।
बेसिक शिक्षा की कायाकल्प योजना के तहत सभी विद्यालयों का कायाकल्प 19 मानकों पर किया जाना था। इसके तहत सभी विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल, शौचालय, फर्नीचर, टाइल्स, साफ-सफाई जैसे काम शामिल किए गए थे। लेकिन अभी तक नगर क्षेत्र के 78 विद्यालयों में से एक भी विद्यालय इन 19 मानकों को पूरा नहीं करता है। कहीं एक कमरे में कक्षाएं चल रहीं, कहीं लाइट कनेक्शन तक नहीं है। किसी विद्यालय के लिए सफाई कर्मी तैनात ही नहीं किए गए हैं। नगर निगम के सफाई कर्मियों को ही इन विद्यालयों की सफाई के आदेश हैं लेकिन सफाई का काम सिर्फ किसी अधिकारी के निरीक्षण से पहले ही होता है। इन सुविधाओं के अभाव में पढ़ाई करना आसान तो नहीं, लेकिन शिक्षा ग्रहण करने की ललक बच्चों को विद्यालय ले आती है।
शहरी क्षेत्र में स्कूलों के हालात
सुविधा कितने विद्यालय में नहीं हैं
पेयजल 25
बिजली 35
फर्नीचर 67
चहारदीवारी 30
स्कूलों में पेयजल और बिजली कनेक्शन कराने के लिए काम चल रहा है। जूनियर हाइस्कूल में फर्नीचर की आपूर्ति की जा रही है। प्राथमिक स्कूलों के लिए अभी बजट नहीं मिला है। चहारदीवारी के लिए नगर निगम को कई बार पत्र लिख चुके हैं। कोशिश की जा रही है कि सीएसआर और अन्य स्रोतों से स्कूलों में अवस्थापना सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। – वेदराम, बीएसए