लखनऊ : प्रदेश के अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक कालेजों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को 21 साल बाद विनियमित करने की तैयारी है। असल में, शासन ने एडेड कालेजों में कार्यरत वर्ष 2000 तक के शिक्षकों को विनियमित किया था लेकिन, 1135 शिक्षक विनियमितीकरण के नियमों में न आने से छूट गए थे। उनके लिए नियमावली में संशोधन करके विनियमित करने का रास्ता निकाला गया और प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, इस संबंध में जल्द आदेश जारी होने की उम्मीद है।
शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय की ओर से शासन को भेजे प्रस्ताव में लिखा गया है कि 22 मार्च 2016 को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा-छ को जोड़ा गया। बोर्ड के अधिनियम में नई धारा जोड़े जाने से अल्पकालिक रिक्ति के सापेक्ष प्रवक्ता व प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक श्रेणी में सात अगस्त से 1993 से 25 जनवरी 1999 के मध्य नियुक्त तदर्थ शिक्षक और मौलिक रिक्ति के सापेक्ष पदोन्नति या फिर सीधी भर्ती सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 के मध्य नियुक्त तदर्थ अध्यापकों को विनियमित नहीं किया जा सकता था।
एडेड कालेजों में मौलिक रिक्ति के सापेक्ष 555 व अल्पकालिक शिक्षक के रूप में नियुक्त शिक्षकों की तादाद 580 सहित 1135 है, जो नियमावली की वजह से विनियमित नहीं हो सके हैं। कार्मिक विभाग ने 16 दिसंबर 2021 को तदर्थ नियुक्तियों की विनियमितीकरण नियमावली में संशोधन किया। इसमें कहा गया है कि उप्र लोकसेवा आयोग के बाहर के पदों पर तदर्थ रूप से नियुक्त व जो अपेक्षित अर्हताएं रखता हो ने तीन साल की सेवा पूरी कर ली हो को नियमित रूप से नियुक्त किया जा सकता है। ऐसे में अब 1135 शिक्षकों को नियमित किया जा सकेगा। उन्हें नियमित वेतन मिल रहा है इसलिए राजकोष पर अतिरिक्त व्ययभार भी नहीं पड़ेगा।