ग्राहकों के लिए नए साल से बैंकिंग सेवा महंगी होने जा रही है। एक जनवरी से एटीएम से पैसे निकालने पर ज्यादा शुल्क चुकाना होगा। रिजर्व बैंक ने जून में ही बैंकों को निशुल्क सीमा के बाद शुल्क बढ़ाने की इजाजत दे दी थी, जो नए साल से प्रभावी होगा।
आरबीआई के अनुसार, हर बैंक अपने ग्राहक को नकदी व अन्य वित्तीय सेवाओं के लिए हर महीने निशुल्क सीमा तय करता है। सेवा का इससे ज्यादा इस्तेमाल करने पर बैंक शुल्क वसूलते हैं।
रिजर्व बैंक ने कहा था कि ज्यादा इंटरचेंज शुल्क व लागत बढ़ने की वजह से बैंकों को एटीएम से धन निकासी शुल्क बढ़ाने की इजाजत दी जाती है। अब एक्सिस, एचडीएफसी सहित अन्य सरकारी व निजी बैंकों से धन निकासी पर ज्यादा शुल्क चुकाना होगा।
हर महीने आठ मुफ्त लेनदेन
बैंक अभी ग्राहकों को हर महीने आठ मुफ्त लेनदेन की छूट देते हैं। इसमें वित्तीय और गैर वित्तीय दोनों तरह के लेनदेन शामिल हैं। जिस बैंक में ग्राहक का खाता है, उसके एटीएम से हर महीने पांच मुफ्त लेनदेन मिलता है। इसके अलावा मेट्रो शहरों में अन्य बैंकों के एटीएम से तीन व गैर मेट्रो शहरों में अन्य बैंक के एटीएम से पांच मुफ्त लेनदेन भी कर सकते हैं। अभी एटीएम से प्रति निकास 20 रुपये लगता है, जिसे एक जनवरी से बढ़ाकर 21 रुपये कर दिया जाएगा। इस पर सेवा कर के रूप में जीएसटी भी देना होगा।
बढ़ा इंटरचेंज शुल्क अगस्त से ही लागू
रिजर्व बैंक ने बैंकों के बीच एटीएम पर लगने वाले इंटरचेंज शुल्क की बढ़ी दरें अगस्त से ही लागू कर दी हैं। बैंकों को प्रति लेनदेन के लिए इंटरचेंज शुल्क 15 के बजाए अब 17 रुपये देना पड़ता है। यह शुल्क सभी वित्तीय लेनदेन पर लागू है, जबकि गैर वित्तीय लेनदेन के लिए इंटरचेंज शुल्क 6 रुपये हो गया है, जो पहले 5 रुपये था।
इंटरचेंज शुल्क का मतलब है कि एक बैंक अपने ग्राहक को दूसरे बैंक का एटीएम इस्तेमाल करने की सुविधा देता है, जिसके लिए उसे संबंधित एटीएम वाले बैंक को शुल्क चुकाना पड़ता है। बैंक इस शुल्क की भरपाई अपने ग्राहकों से ही करते हैं।