इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी बीएड अंकपत्र से नौकरी हासिल करने वाले बर्खास्त सहायक अध्यापक हेमंत कुमार सारस्वत को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि फर्जी मार्कशीट से नौकरी प्राप्त कर याची ने एक योग्य अभ्यर्थी का हक छीनकर उसकाजीवनभर का नुकसान किया है। ऐसे अभियुक्त की अभिरक्षा से अपराध की जड़ तक पहुंचा जा सकता है। आरोप की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी है। मामले की सुनवाई एकल खंडपीठ कर रही थी।
याची का कहना था कि आगरा विवि द्वारा सत्र 2004-05 मेें 3500 सौ लोगों की बीएड डिग्री जारी की गई थी। जांच में एक हजार अंकपत्रों में छेड़छाड़ पायी गई है। याची ने सहायक अध्यापक के तौर पर 10 साल काम किया है। उसे बर्खास्त कर दिया गया है। याची की बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका लंबित है। हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने वेतन भुगतान जारी रखने का आदेश दिया है।
कई अध्यापकों को कोर्ट ने अग्रिम जमानत दी है, इसलिए उसे भी जमानत दी जाए। सकारी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। वह हाजिर नहीं हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि विभागीय जांच व आपराधिक कार्यवाही अलग-अलग है। आरोप गंभीर है। इससे पहले भी कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज कर दी है।