बेसिक शिक्षा विभाग ने अपने कई बीएसए के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की गई है। आजमगढ़ के तत्कालीन प्राचार्य डायट हरिश्चन्द्र नाथ को परिनिन्दित किया गया है। उन पर प्रशिक्षु शिक्षक 2021 में 2500 पदों में काउंसिलिंग में प्रतिभाग नहीं करने वाले अभ्यर्थियों का चयन किए जाने, मास्टर डाटा में हेरफेर करने करने के आरोपों को सही पाया गया।
इसके अलावा तत्कालीन बीएसए सीतापुर राजेन्द्र सिंह को परिनिन्दा प्रविष्टिदेते हुए तीन वेतन वृद्धियां स्थायी रूप से रोकी गई हैं। उन्हें अक्तूबर, 2017 में निलम्बित किया गया था व जनवरी 2018 में उन्हें आरोप पत्र दिया गया था। अक्तूबर 2018 में उन्हें बहाल किया गया। जांच आख्या में पांच में से दो आरोप सिद्ध पाए गए लिहाजा उन्हें दण्ड देते हुए कार्रवाई खत्म करदी गई।
उन्नाव के तत्कालीन बीएसए बीके शर्मा को अगस्त 2019 में विभिन्न आरोपों में निलम्बित किया गया था। उन पर लगे छह आरोपों में से तीन आरोपों को सही पाया गया। उनके जवाब से संतुष्ट न होते हुए उनकी एक वेतनवृद्धि पांच वर्ष के लिए अस्थायी रूप से रोके जाने का दण्ड दिया गया है। इसके साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई खत्म कर दी गई है।
इसके अलावा वाराणसी के बीएसए राकेश सिंह, बीएसए गौतमबुद्ध नगर धर्मेन्द्र सक्सेना के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं। राकेश सिंह के खिलाफ अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीनता बरतने के लिए प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया गया है। उन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी शासन को न देने के आरोप थे। इस कारण प्रमुख सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी हुआ। जेडी वाराणसी मंडल को जांच अधिकारी बनाया गया है।
धर्मेन्द्र सक्सेना के खिलाफ महिला शिक्षिकाओं के बाल्य देखभाल अवकाश को बिना कारण स्वीकृत अस्वीकृत किए जाने, औचक निरीक्षण के नाम पर शिक्षक-शिक्षिकाओं का आर्थिक मानसिक उत्पीड़न किए जाने के आरोपों के खिलाफ मेरठ मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक को जांच अधिकारी बनाया गया है।
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