पीसीएस परीक्षा में दो अतिरिक्त अवसर के लिए प्रतियोगी छात्र अड़े हुए हैं। प्रदेश सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे ओवरएज हो चुके प्रतियोगी छात्र कैबिनेट की बैठक से पहले मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखना चाहते हैं और इसके लिए छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मिलने के लिए समय मांगा है। ओवरएज हो चुके छात्र चाहते हैं कि उन्हें पीसीएस 2022 और 2023 में अतिरिक्त अवसर प्रदान किए जाएं।
ओवरएज हो चुके प्रतियोगी छात्र कई कारणों से पीसीएस परीक्षा में दो अतिरिक्त अवसर की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पीसीएस-2018 से मुख्य परीक्षा का पैटर्न अचानक बदल दिया गया। पीसीएस-2019 से सफलता का मानक भी बदल दिया गया। पहले पदों की संख्या के मुकाबले प्रारंभिक परीक्षा में 18 गुना और मुख्य परीक्षा में तीन गुना अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया जाता था, जिसे घटाकर क्रमश: 13 और दो गुना कर दिया गया। दो साल लगातार हुए परिवर्तनों और इसके बाद वर्ष 2020 से कोविड ने प्रतियोगी छात्रों को मानसिक रूप से बड़ा झटका दिया।
हालांकि वर्ष 2021 में आयोग ने सफलता के मानक को फिर बदला और छात्रों को राहत देते हुए पदों की संख्या के मुकाबले प्रारंभिक परीक्षा में 15 गुना और मुख्य परीक्षा में तीन गुना अभ्यर्थियों को सफल घोषित करने का निर्णय लिया, लेकिन इसके बाद भी लगातार हुए परिवर्तनों का असर बरकरार रहा।
नतीजा कि पीसीएस-2021 की प्रारंभिक परीक्षा में पदों की संख्या के मुकाबले केवल 11 गुना अभ्यर्थियों को ही मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया। अभ्यर्थियों का कहना है कि इन तमाम बदलावों और कोविड के कारण वर्ष 2018 या इसके बाद जिन छात्रों की परीक्षा की तैयारी प्रभावित हुई और वे ओवरएज हो गए, उनके लिए भविष्य के रास्ते हमेशा के लिए बंद हो गए।
प्रतियोगी छात्र प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक से पहले मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें इन समस्याओं से अवगत कराना चाहते हैं। छात्रों को लगता है कि कैबिनेट की अगली बैठक विधानसभा चुनाव से पहले अंतिम बैठक हो सकती है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि जो छात्र कोविड और पाठ्यक्रम बदलाव से प्रभावित होने के कारण सफलता अर्जित नहीं कर सके और अब ओवरएज हो चुके हैं, उन्हें सरकार को तत्काल दो अवसर प्रदान करना चाहिए। प्रभावित छात्रों के साथ न्याय हो सके, इसके लिए प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति लगातार प्रयासरत है।