पुरानी पेंशन बहाली, शिक्षकों की लंबित पदोन्नति जल्द करने, शिक्षकों और कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदेश के शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनर्स ने मंगलवार को राजधानी के ईको गार्डन में हुंकार भरी। उत्तर प्रदेश शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी और पेंशनर्स अधिकार मंच के बैनर तले आयोजित महारैली में मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि यदि सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल नहीं की तो विधानसभा चुनाव-2022 में प्रदेश सरकार को सबक सिखाएंगे।
सिर पर सफेद टोपी लगाए शिक्षक और कर्मचारियों से खचाखच भरे ईको गार्डन में आयोजित महारैली में चाहे जो मजबूरी हो, हमारी मांगे पूरी हो, जाति धर्म का भेद मिटाओ, पुरानी पेंशन बहाल कराओ, पुरानी पेंशन अधिकार है, बुढ़ापे का आधार है जैसे नारे गूंज रहे थे। महारैली को संबोधित करते हुए मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि पहले सरकारें कर्मचारियों और शिक्षकों की समस्याओं को सुनकर उनके निकारण का प्रयास करती थी लेकिन यह पहली सरकार है जो कर्मचारियों के लंबे संघर्ष से हासिल उपलब्धियों और अधिकारों को भी छीन रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का 10 हजार करोड़ का भुगतान रोका हुआ है और एक दर्जन से अधिक भत्ते समाप्त कर दिए है। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा में प्रधानाध्यापकों के हजारों पद समाप्त कर दिए है और पिछले 5 वर्ष के कार्यकाल में एक भी शिक्षक को पदोन्नति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों ने शिक्षामित्र व अनुदेशकों को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ियों एवं रसोइया आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं लेकिन सरकार संवेदनहीन बनी हुई है।
आरपार की लड़ाई लड़ेंगे
दिनेश चंद्र शर्म ने कहा कि उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश सरकार ने समय रहते पुरानी पेंशन बहाली सहित सभी मांगों को पूरा नहीं किया तो शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी और पेंशनर्स सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे और लोकतंत्र का अंतिम अस्त्र भी प्रयोग करने से नहीं चूकेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 वापस ले सकती है और किसानों के विरोध के बाद तीनों कृषि कानून वापस ले सकती है तो पुरानी पेंशन क्यों बहाल नहीं कर सकती।
सरकार ने किया शिक्षकों और कर्मचारियों का नुकसान
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि सरकार ने शिक्षकों एवं कर्मचारियों का पिछले डेढ़ साल के बढ़े हुए महंगाई भत्ते का भुगतान न करके उनका आर्थिक नुकसान किया है। उन्होंने कहा कि संविदा कर्मियों को नियमित न करके यह प्रदर्शित किया जा रहा है कि सरकार का मानवीय मूल्यों में कोई विश्वास नहीं है।
कर्मचारी और शिक्षक विरोधी है सरकार
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हेम सिंह पुंडीर ने कहा कि पुरानी पेंशन कर्मचारियों और शिक्षकों का अधिकार है। उन्होंने कहा कि सरकार लगातार कर्मचारियों और शिक्षकों के खिलाफ निर्णय ले रही है इससे साबित हो रहा है कि सरकार कर्मचारी और शिक्षक विरोधी है।
सत्ता पलटने में सक्षम है मंच
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री संजय सिंह ने कहा कि विधायक और सांसद को पांच साल के कार्यकाल पर पेंशन मिलती है तो कर्मचारी-अधिकारियों और शिक्षकों को 30-35 सालों की सेवा के बाद भी पेंशन क्यों नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो मंच सत्ता पलटने में भी सक्षम है।
कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार कर ही सरकार
मंच के प्रधान महासचिव सुशील त्रिपाठी ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि महारैली ने यह साबित कर दिया कि प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के अंदर सरकार के प्रति बहुत आक्रोश है जिसका खामियाजा सरकार को आने वाले विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ सकता है। महारैली को विधान परिषद सदस्य ध्रूव कुमार त्रिपाठी, सुरेश त्रिपाठी और डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के महासचिव जी.एन सिंह सहित अन्य कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारी संगठनों के पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया।
कैशलेस इलाज, आउटसोर्सिंग कर्मियों को न हटाने पर फैसला जल्द
उधर, पुरानी पेंशन, कैशलेस इलाज सहित तमाम मांगों को लेकर कर्मचारियों की रैली ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। शासन के वरिष्ठ अधिकारी पिछले दो दिनों से कर्मचारी संगठनों से लगातार बात कर रहे हैं। आने वाले दिनों में कैशलेस इलाज व आउटसोर्सिंग कर्मियों को न हटाने सहित कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं भी हो सकती हैं। पुरानी पेंशन की मांग कर रहे कर्मचारियों को किस तरह संतुष्ट किया जाए, इस पर माथापच्ची शुरू हो गई है।
सूत्रों के मुताबिकमुख्य सचिव की अध्यक्षता में मंगलवार को लंबी बैठक हुई। इसमें कार्मिक, वित्त व पेंशन सहित कई महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी शामिल हुए। इसमें पांच वर्ष से प्रतीक्षित कैशलेस इलाज की व्यवस्था को लागू करने, आउटसोर्सिंग पर नियुक्त कर्मियों को सेवा से न निकाले जाने का प्रावधान करने, एसीपी की विसंगति संबंधी शासनादेश को जल्द से जल्द संशोधित करने पर सहमति बन गई है। पुरानी पेंशन पर कोई निर्णय नहीं हुआ। पर, पुरानी पेंशन और नई पेंशन के नफा-नुकसान व कर्मचारियों की आशंकाओं के समाधान पर गंभीर चर्चा हुई है। पूरे तथ्य उच्च स्तर पर रखने के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। सरकार कर्मचारियों को किसी तरह संतुष्ट करना चाहती है।
इसलिए हो रही कवायद
प्रदेश के कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कर्मचारियों ने भारी भीड़ जुटाकर अपने मुद्दे के प्रति एकजुटता साबित कर दी। इस मुद्दे पर कर्मचारियों के साथ नौकरी की लाइन में खड़े युवाओं का पूरा समर्थन दिखा। सरकार इस फीडबैक से सक्रिय हो गई है। कर्मचारियों ने खुला एलान किया है कि अगर पुरानी पेंशन बहाल नहीं हुई तो वे खुलकर पुरानी पेंशन बहाल करने का आश्वासन देने वाले का समर्थन करेंगे। किसान आंदोलन की तरह कर्मचारियों की मांग को नजरअंदाज कर रही सरकार इसके बाद सक्रिय हो गई और सभी मांगों पर विचार-विमर्श शुरू किया है।
सरकार ने कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए कई कमेटियां गठित की हैं और मैं स्वयं लगातार कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से बात कर उचित समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करवा रहा हूं। सरकार कर्मचारियों का अहित नहीं होने देगी। सभी समस्याओं का उचित समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। -राजेंद्र कुमार तिवारी, मुख्य सचिव