प्रयागराज : प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत पीएचडी व एमफिल डिग्री धारक शिक्षकों को इंसेटिव देने का फैसला जल्द होने के आसार हैं। शासन इस पर आने वाले व्यय भार का आकलन करने में जुटा है। इस बारे में विश्वविद्यालयों से प्रस्ताव मांगा गया है।
शासन के उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव मनोज कुमार ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों को कुलपतियों को इस संबंध में पत्र भेजा है। इसमें विश्वविद्यालयों के कुलसचिव व वित्त नियंत्रक द्वारा संयुक्त रूप से हस्तारित स्पष्ट प्रस्ताव जल्द से जल्द उच्च शिक्षा अनुभाग-एक को ई-मेल के माध्यम से भेजने को कहा गया है।
पत्र में कहा गया है कि राज्य विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों के संदर्भ में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) रेगुलेशन 2018 के विनियम 19.1 के तहत पीएचडी, एमफिल व अन्य शैक्षिक योग्यताओं पर इंसेटिव दिए जाने के बिन्दु पर राज्य सरकार पर आने वाले संभावित वित्तीय भार का आकलन किया जाना आवश्यक है। विश्वविद्यालयों से यह बताने को कहा गया है कि यह प्रावधान लागू किए जाने पर कितने शिक्षक उससे लाभान्वित होंगे और कितना वित्तीय भार आएगा और वित्तीय भार को किस प्रकार वहन किया जाएगा?
इससे पहले महाविद्यालयों के संदर्भ में निदेशक उच्च शिक्षा से यही जानकारी मांगी गई थी। शासन के पत्र पर निदेशक उच्च शिक्षा ने सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों से राजकीय व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के संबंध में सूचना मांगी थी। निदेशालय ने राजकीय व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के लिए दो अलग-अलग प्रारूप तैयार करके भेजा था। माना जा रहा है कि पीएचडी व एमफिल डिग्री धारी शिक्षकों को इंसेटिव देने का फैसला जल्द लिया जा सकता है। शिक्षक संगठन लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे।