नई दिल्ली: कोरोना काल में जब देश के ज्यादातर स्कूल बंद हैं, ऐसे में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पीएम पोषण स्कीम के तहत घर-घर सूखा खाद्यान्न और खाना बनाने पर होने वाले खर्च की राशि पहुंचाने का अभियान चल रहा है। शिक्षा मंत्रलय इस पूरी मुहिम में तेजी से जुटा है हालांकि बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे कई राज्यों से वितरण में गड़बड़ी की शिकायतें भी मिल रही हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने इस स्कीम की सोशल आडिट कराने का फैसला लिया है। साथ ही सभी राज्यों से इस दिशा में तेजी से काम करने और जल्द ही रिपोर्ट मुहैया कराने को कहा है।
स्कीम से जुड़े शिक्षा मंत्रलय के अधिकारियों की मानें तो बगैर सामाजिक जुड़ाव के किसी भी सरकारी योजना का सफल होना आसान नहीं होता। इससे पहले स्कूली बच्चों के लिए मुहैया कराने जाने वाले मिड-डे मील की भी कुछ इसी तरह समीक्षा की गई थी। इसके अच्छे परिमाण भी मिले हैं। मंत्रलय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि जैसे कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए ज्यादातर स्कूल बंद हैं, ऐसे में कितने बच्चों को सूखा खाद्यान्न और कुकिंग कास्ट की राशि मुहैया कराई गई है, इसकी जानकारी भी दी जाए। इसके लिए प्रत्येक जिलों में प्रबुद्ध लोगों की टीमें गठित की जाएं।
बता दें कि स्कूलों में परोसे जाने वाले दोपहर के भोजन की गुणवत्ता जांच के लिए स्कूलों के आसपास रहने वाले प्रबुद्ध लोगों और अभिभावकों की एक टीम पहले से गठित है। फिलहाल पीएम पोषण स्कीम के तहत देश के करीब 11 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 12 करोड़ स्कूली बच्चों को खाद्यान्न दिया जा रहा है।