प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की रविवार को हुई समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ/एआरओ) 2021 प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य हिन्दी में पूछे गए 60 प्रश्नों में छह के सभी विकल्प अशुद्ध हैं। हिन्दी के विशेष आचार्य पृथ्वीनाथ पांडेय ने ‘सीरीज़ बी’ के प्रश्न संख्या 14 में ‘चोर’ के पर्यायवाची के रूप मे दिए सभी उत्तर-विकल्प (खनक, उदक, धूसर तथा थलचर) को अशुद्ध बताया है।
प्रश्न संख्या 17 में वर्तनी की दृष्टि से एक शुद्ध शब्द पूछा गया है, जबकि इसके उत्तर-विकल्प में (सी) परीक्षा और (डी) परिक्षा- दोनों ही शुद्ध वर्तनी के शब्द हैं। परीक्षा का अर्थ ‘जांच’ और परिक्षा का ‘कीचड़’ है। प्रश्न-संख्या 20 में शुद्ध वाक्य पूछा गया है, जबकि सभी उत्तर-विकल्प अशुद्ध हैं। प्रश्न संख्या 22 में एक विशेष्य शब्द पूछा गया है जबकि इसके उत्तर-विकल्प में (बी) वादी और (डी) मानस- दोनों ही विशेष्य हैं; वादी का अर्थ ‘बोलनेवाला’ और मानस का ‘मन’ है।
प्रश्न संख्या 24 में विलोम-शब्दों का एक सही युग्म पूछा गया है, जबकि दिए उत्तर-विकल्प में से कोई शुद्ध नहीं है। यदि आयोग इसके (डी) विकल्प ‘आदृत-तिरस्कृत’ को मानता हो तो वह ग़लत है; क्योंकि सही विकल्प ‘आदृत-अनादृत’ होगा, जो दिया ही नहीं गया है। ‘पुरस्कृत’ के साथ ‘तिरस्कृत’ होता है। ‘अवर्षण-अनावर्षण’ तो पर्याय ही हैं, जबकि ‘आपत्ति-विपत्ति’ और ‘गणतन्त्र-जनतन्त्र’ विलोम हैं ही नहीं।
प्रश्न संख्या 46 में तद्भव शब्द पूछा गया है। जबकि चारों विकल्प संस्कृत-भाषा अर्थात् तत्सम हैं। प्रश्न दो के वाक्य- ‘एक की वर्तनी शुद्ध है’ से यह ध्वनि निकलती है कि परीक्षार्थियों से ‘एक’ शब्द की वर्तनी की शुद्धता पर प्रश्न किया गया है। प्रश्न-संख्या 30 में ‘कोरोना पीड़ित है’ की जगह ‘कोरोना से पीड़ित है’ होगा। प्रश्न 49 के विकल्प (ए) का शब्द ‘बलवान’ अशुद्ध है; क्योंकि शुद्ध शब्द ‘बलवान्’ है, जो ‘वान्’ प्रत्यय से युक्त होता है।