उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से पांच दिसंबर को आयोजित समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) परीक्षा-2021 में एक सवाल के तीन किताबों में अलग-अलग जवाब दिए गए हैं। वहीं, 10 से 12 प्रश्नों पर अभ्यर्थियों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं हैं। अभ्यर्थी अब मांग कर रहे हैं कि प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के साथ ही संशोधित उत्तरकुंजी जारी की जाए।
आरओ/एआरओ परीक्षा-2021 की ‘डी’ सिरीज की प्रश्न पुस्तिका में सवाल संख्या-25 में पूछा गया है कि ब्रिटिश भारत में सैन्य बल पर केंद्रीय राजस्व का कुल कितना प्रतिशत व्यय होता था। इसके चार विकल्प किए गए हैं, जिनमें 40 फीसदी, 45 फीसदी, 50 फीसदी एवं 55 फीसदी व्यय शामिल हैं और इनमें से कोई एक विकल्प सही होना चाहिए। अभ्यर्थियों के अनुसार तीन पुस्तकों में इस सवाल के तीन अलग-अलग जवाब दिए गए हैं। विपिन चंद्रा की पुस्तक के पृष्ठ संख्या-156 पर 52 फीसदी व्यय लिखा हुआ है।
वहीं, बीएल ग्रोवर की पुस्तक में 33 फीसदी व्यय का जिक्र है। वहीं, एक अन्य पुस्तक में 40 फीसदी व्यय लिखा हुआ है। अभ्यर्थियों ने आरओ/एआरओ परीक्षा-2021 में पूछे गए 10 से 12 प्रश्नों को विवादित बताते हुए अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं हैं।
अभ्यर्थियों ने साक्ष्य सहित अपनी आपत्तियां दर्ज कराते हुए मांग की है कि प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के साथ ही संशोधित उत्तरकुंजी जारी की जाए। अभ्यर्थियों ने सवाल उठाएं हैं कि क्या सभी 140 प्रश्न ऐसे नहीं बनाए जा सकते जो निर्विवाद हों? आखिर पिछली कुछ परीक्षाओं से आयोग ने उत्तरकुंजी जारी करने की व्यवस्था क्यों बदली? अंतिम चयन परिणाम घोषित होने के बाद भी संशोधित उत्तरकुंजी क्यों नहीं जारी की जा रही?
अभ्यर्थियों का आरोप है कि ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है। इसमें कुछ लोगों के व्यक्तिगत हित छिपे हुए हैं, ताकि गलत प्रश्नों की आड़ में अपने चेहतों को चयन कराया जा सके और इसी वजह से अंतिम उत्तरकुंजी जारी नहीं की जा रही है। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग अपने निर्णय के अनुरूप अगर पूर्व की भांति प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के साथ संशोधित उत्तरकुंजी जारी करता है तो अभ्यर्थियों को यह पता चल सकेगा कि वे कटऑफ से कितने अंक पीछे रह गए और आयोग ने उनकी आपत्तियों का निस्तारण किया या नहीं।