लक्ष्मीपुर। सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में उसकी गुणवत्ता को लेकर एक बदहाल सी छवि बन जाती है। लेकिन, महराजगंज जनपद के लक्ष्मीपुर ब्लॉक का कंपोजिट विद्यालय मोहनापुर इस बात को गलत साबित कर रहा है। भले ही आलीशान भवन नहीं है लेकिन बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं है।
गोरखपुर सोनौली राष्ट्रीय मार्ग पर स्थित ग्राम पंचायत मोहनापुर का कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक मोहित कुमार यादव ने बताया कि उनके विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक 303 बच्चों का पंजीयन है। विद्यालय में 4 सहायक अध्यापक विपिन विहारी, देवेंद्र पाठक, चंद्र प्रकाश यादव, सागर सिंह एवं शिक्षा मित्र कैशर जहां द्वारा बच्चों के शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। सुबह प्रार्थना सभा में करीब 30 मिनट बच्चों के साथ प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम हर रोज चलाया जाता है जिसमें बच्चों के प्रश्नों का उत्तर सभा में ही दिया जाता है। प्रार्थना सभा में ही बच्चों को सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी याद करवा दिया गया है। विद्यालय की रंग-बिरंगी दीवारें जिन पर कविताएं व पहाड़े लिखे हैं तो वहीं दूसरी तरह कक्षाओं में बेंच व डेस्क पर व्यवस्थित रूप से बैठकर पढ़ते बच्चों को देखकर हर किसी को लगता है कि ये कोई प्राइवेट स्कूल है।
बच्चों को याद है संस्कृत में श्लोकः कक्षा 6 की पढ़ने वाली छात्रा पूनम ने 25 तक पहाड़ा बिना रुके सुनाया तो वहीं कक्षा 7 के छात्र महेश ने संस्कृत का श्लोक बिल्कुल सही उच्चारण के साथ सुनाया। कक्षा तीन की दर्जनों बच्चे अंग्रेजी में अपना पूरा नाम, स्कूल, माता-पिता का पूरा नाम और पता पूरे आत्मविश्वास से बताते नजर आए।
इंसीनेटर का हुआ है निर्माण : विद्यालय में लड़कियों के लिए सैनिटरी पैड के निस्तारण के लिए स्कूल में इंसीनेटर भी लगाया गया है। परिसर में पोषण वाटिका का भी निर्माण हुआ है। जिसमें साग सब्जियों को उगाया गया है।
खेल की बेहतर व्यवस्था : स्कूल में बेहतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने में इस स्कूल के शिक्षक, ग्राम प्रधान और ग्रामीण भी भरपूर सहयोग कर रहे हैं। यहां बच्चों को उत्तम गुणवत्ता वाला मध्याह्न भोजन के लिए वह सभी सामग्री दी जाती है। बच्चों को खो-खो से बैडमिंटन, क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबाल आदि खेलों की सुविधा स्कूल की ओर से मिलती है। संवाद
हर माह बच्चों की टेस्ट ली जाती है। शिक्षक वेतन के पैसे से बच्चों को पुरस्कृत भी करते हैं जिससे बच्चों का मनोबल व शैक्षिक ज्ञान दोनों को बढ़ावा मिलता है। विद्यालय में लाइब्रेरी कार्नर भी बनाया गया है। बच्चों को दोपहर में भोजन अवकाश के बाद एक घंटी पुस्तकालय की किताबें पढ़ने की छूट दी जाती है। ज्ञानवर्द्धक कहानी आदि की पुस्तकों को कुछ बच्चे घर भी ले जाकर पढ़ते हैं।
- मोहित कुमार यादव, प्रधानाध्यापक