लखनऊ : टीईटी पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने बड़ा खुलासा किया है। एसटीएफ ने दावा किया है कि प्रश्नपत्र छापने वाली एजेंसी ने काम मिलने के बाद टाइपिंग का काम स्कूली छात्रों को दे दिया। प्रश्नपत्रों की प्रिंटिंग के बाद प्रूफ रीडिंग, डिजाइनिंग, पैकिंग की जिम्मेदारी भी इन्हीं स्कूलों छात्रों को दे दी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने हस्त लिखित प्रश्नों की सूची एजेंसी को उपलब्ध कराई थी।
पेपर लीक मामले की जांच कर रही यूपी एसटीएफ को पड़ताल के दौरान कई ऐसे सुराग मिले हैं जिससे साबित होता है कि इस पूरी प्रक्रिया को एजेंसी ने बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया और गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया। इस पेपर की संवेदनशीलता का भी अंदाजा एजेंसी को नहीं था। एजेंसी के पास मैनपावर भी नहीं थे। मैनपावर की भर्ती प्रश्नपत्र छापने का आदेश मिलने के बाद शुरू की गई। आनन फानन में आरएसएम फिनसर्व ने प्राइवेट कर्मचारियों की असुरक्षित तरीके से नियुक्ति की।
प्रश्नपत्र की अलग अलग भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व संस्कृत में टाइपिंग के लिए स्कूल और कालेज के छात्र-छात्राओं को अनियमित तरीके से बुलाया गया। इन कामों को सीसीटीवी सर्विलांस के अंडर में होना था, लेकिन एजेंसी के पास ऐसा कोई रिकार्ड नहीं मिला। सूत्रों का कहना है कि जिन प्रिंटिंग प्रेस को काम सौंपा गया वहां भी बिना अनुबंध के काम दे दिया गया। यहां तक की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कोई भी नन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट नहीं किया गया। एसटीएफ इस पूरे मामले की परत दर परत पलट रही है। इस मामले में एजेंसी के निदेशक राय अनूप प्रसाद और परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव संजय उपाध्याय पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
सॉल्वर गिरोह के सरगना की तलाश के लिए पूर्वांचल में एसटीएफ हुई सक्रिय
उधर, टीईटी परीक्षा में बड़ी संख्या में साल्वर यूपी आए थे। इसमें अधिकतर बिहार से आए थे। एसटीएफ ने इस मामले में अब तक 35 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें लगभग आधे साल्वर हैं। और इतने ही साल्वर की तलाश एसटीएफ को है। एसटीएफ के एक सूत्र ने बताया कि पूर्वांचल में ही इस गिरोह के लोगों ने ठिकाना बनाया था और जहां मामला सेट हो जाता वहां चार से छह घंटे में साल्वर भेज दिए जा रहे थे। एसटीएफ इस मामले में प्रकाश में आए राजन नाम के सरगना की तलाश कर रही है।