उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) का पेपर आउट होने के मामले में दर्ज सभी मुकदमों की विवेचना एसटीएफ की निगरानी में होगी। इस मामले में दर्ज होने वाले सभी मुकदमें एसटीएफ को स्थानांतरित किए जाएंगे। प्रयागराज और कौशाम्बी में छापामारी करके एसटीएफ ने 20 को जेल भेजा था। लेकिन इसके बाद स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। न तो पेपर लीक करने वाले का सुराग लगा और न ही वांछितों की गिरफ्तारी गई। जबकि अल्लापुर में ही फर्जीवाड़ा करके नकली प्रवेश पत्र की छपाई की जाती थी।
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि टीईटी परीक्षा को लेकर आगे दर्ज होने वाले सभी मुकदमों की विवेचना एसटीएफ करेगी। अभी तक इस मामले में कौशाम्बी जिले के थाना कोखराज और प्रयागराज के धूमनगंज, झूंसी, जार्जटाउन, नैनी थाने में एसटीएफ ने सॉल्वर गैंग के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। सीओ एसटीएफ नवेंदु सिंह ने बताया कि मुकदमों की जांच में सहयोग के लिए एसटीएफ के दो इंस्पेक्टर की ड्यूटी लगाई गई है। वह विवेचकों को कॉल डिटेल से लेकर गिरफ्तारी करने में सहयोग करेंगे। हर मुकदमों की कार्रवाई की रिपोर्ट एसटीएफ के एडीजी को भेजी जाएगी।
36 लोगों की अभी तक हो चुकी है गिरफ्तारी
इस मामले की जांच में जुटी एसटीएफ ने अभी तक 36 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है। लेकिन अभी तक वह व्यक्ति एसटीएफ के हत्थे नहीं चढ़ा है, जिसने यह पेपर लीक किया था और अभी तक यह भी पता नहीं लगाया जा सका है कि यह पेपर सबसे पहले कहां से लीक हुआ था। इसका पता लगाने के लिए एसटीएफ की टीमें लगातार संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही हैं। नोएडा, दिल्ली और कोलकाता के जिन प्रेस में यह पेपर छापे गये थे, उनके मालिक भी अभी तक नहीं पकड़े जा सके हैं।
करोड़ो बचाने के लिए साधारण प्रेस में छपवा दिए पेपर
करोड़ों रुपये बचाने के लिए यह पेपर साधारण प्रेस में छपवा दिए गये, जिसका खामियाजा अब परीक्षार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्रश्न पत्र छापने के लिए विभाग ने जिस व्यक्ति को 13 करोड़ रुपये में 23 लाख पेपर छापने का ठेका दिया गया था, उसका अपना कोई प्रेस ही नहीं है। जिस पते पर यह ठेका दिया गया था, वहां पर बीयर का गोदाम है। उसने ठेका लेने के बाद दिल्ली की दो, नोएडा की एक और कोलकाता के एक प्रेस को इन पेपरों को छापने की जिम्मेदारी सौंपी। जांच में पुष्टि हो चुकी है कि इन चारो प्रेस में से किसी ने भी कभी किसी परीक्षा के कोई पेपर नहीं छापे थे और यह बिल्कुल साधारण प्रेस हैं, जिन पर ऐसे पेपर नहीं छापे जा सकते, वहां पर सु्रक्षा और गोपनीयता के कोई इंतजामात नहीं थे।
यह है मामला
28 नवंबर को होने वाली उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्रश्न पत्र परीक्षा वाले दिन ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। जिसके बाद यह परीक्षा निरस्त कर दी गई थी। इस मामले की जांच में जुटी नोएडा एसटीएफ ने बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय को भी गिरफ्तार किया है। जिन पर आरोप है कि उसने 13 करोड़ रुपये में 23 लाख पेपर छापने का ठेका एक ऐसे व्यक्ति को दे दिया था, जिसकी कोई प्रिटिंग प्रेस ही नहीं है। इस मामले में जुटी एसटीएफ की टीमों के द्वारा देश भर मे छापेमारी की जा रही है।