उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) का पेपर छापने में हुई मिलीभगत की जांच में हो रहे खुलासे ने अधिकारियों को भी हैरान कर दिया है। एसटीएफ की ओर से दर्ज कराये मुकदमे से चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। खुलासा हुआ है कि प्रश्न पत्र को अलग-अलग भाषा में टाइप करने के लिए दिल्ली में स्कूल-कॉलेज के छात्रों को अनियमित तरीके से बुलाया गया। पुलिस के अनुसार फिन सर्व लिमिटेड को 23 लाख पेपर छापने का ठेका 13 करोड़ में दिया गया था।
बिना किसी अनुबंध के दे दिया चार प्रेस को ठेकासचिव परीक्षा नियामक संजय उपाध्याय के द्धारा दिल्ली की जिस आरएसएम फिन सर्व लिमिटेड को टीईटी के पेपर छापने का ठेका दिया गया था, उसकी अपनी कोई प्रेस ही नहीं है और जिस पते पर यह ठेका दिया गया, वहां पर बीयर का गोदाम है। उसके द्धारा इस ठेके को लेने के बाद दिल्ली, कलकत्ता और नोएडा की जिन चार प्रेस को पेपर छापने का ठेका दिया गय था, उनके साथ किसी तरह का कोई अनुबंध नहीं किया गया था और गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए कोई नन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट नहीं किया गया था।
तीन छात्रों को बुलाया गया थाटीईटी का पेपर टाइप करने के लिए जिन तीन छात्रों को बुलाया गया था, वह सभी दिल्ली के रहने वाले हैं और वहीं पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उर्दू में टाइपिंग के लिए जिस छात्र को बुलाया गया था, वह दिल्ली में ही पढ़ाई कर रहा है। जबकि हिन्दी और संस्कृत में टाइपिंग के लिए बुलाया गया छात्र दिल्ली में ही कोचिंग करता है।
अक्षम संस्था को दिया पेपर छापने का कामएसटीएफ ने अपने मुकदमें में कहा है कि सचिव परीक्षा नियामक उत्तर प्रदेश द्धारा सक्षम संस्था को पेपर प्रिटिंग का कार्य न देकर अवैध तरीके से अनुचित लाभ के लिए अक्षम संस्था को पेपर छापने का कार्य दिया गया। उसके द्वारा अनुभवहीन व्यक्तियों को नियुक्त करते हुए सुरक्षा के मानकों को अनदेखा कर पेपर छपवाया गया। यह दोनो ही इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार, जिनकी वजह से पेपर आउट हो गया।
यह है मामला28 नवंबर को होने वाली उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्रश्न पत्र परीक्षा वाले दिन ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। जिसके बाद यह परीक्षा निरस्त कर दी गई थी। इस मामले की जांच में जुटी नोएडा एसटीएफ ने बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय समेत 36 लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया है। इस मामले में प्रदेश में दर्ज सभी मुकदमों की जांच एसटीएफ को मिल चुकी है। एसटीएफ द्वारा लगातार इस मामले में छापेमारी की जा रही है।
फुटेज उपलब्ध नहीं कराईएसटीएफ ने कहा है कि टाइपिंग, डिजाइनिंग, प्रूफ रीडिंग के दौरान सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने की बात कार्यदायी संस्था ने अधिकारियों से कही थी, लेकिन वह जांच में ऐसी कोई फुटेज उपलब्ध नहीं करा सकी है और ऐसी कोई फुटेज नहीं है।