पीलीभीत। शहर से सटे उच्च प्राथमिक विद्यालय गौहनिया, कक्षा आठ में पढ़ने वाली पुष्पा, इनको यूनीफॉर्म का बजट तो मिला लेकिन यूनीफॉर्म एक ही मिली। बाजार में जूते-मोजे, स्कूल बैग और स्वेटर लेने गए तो शासन से मिला बजट नाकाफी साबित हुआ प्राथमिक विद्यालय गौहनिया में आयुशी, सोविया सिंह जैसे दर्जनों बच्चों हैं जिनको एक ही यूनीफॉर्म मिली। न जूते-मोजे मिल सके और न ही स्वेटर व बैग
यह सिर्फ एक दो स्कूल की बात नहीं है बल्कि जिले के अधिकतर स्कूल के बच्चों का हाल है। शासन से मिले 1100 रुपये महंगाई के सामने नाकाफी साबित हो रहे हैं। इन दो स्कूलों की बात करें तो प्राथमिक विद्यालय में 237 में से 111 बच्चों के अभिभावकों के खाते में पैसे पहुंचे।
जबकि यूनीफॉर्म मुश्किल से 10- 15 बच्चों को मिली उच्च प्राथमिक विद्यालय की बात करें तो यहां 161 बच्चे हैं लेकिन हेडमास्टर एक दो बच्चों को यूनीफॉर्म मिलने की बात कहकर चुप हो गए बजट पर्याप्त न होने के कारण ज्यादातर अभिभावक दो जोड़ी की जगह एक जोड़ी यूनीफॉर्म ले रहे हैं। स्कूल बैग जूते, स्वेटर नहीं लिया और कुछ ने लिया है तो अपने पास से पैसे डालकर लिया है।
विभागीय अधिकारी भी डीबीटी के काम पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन बच्चों को जरूरत की चीजें मिली या नहीं इससे उनको फर्क नहीं पड़ता। उनका कहना है अभिभावक जाने। यूनीफॉर्म दिलाना हमारा काम नहीं गौहनिया क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रभारी अंजु कनौजिया और प्राथमिक के हेड मास्टर मोहम्मद जमशेद का कहना है डोबोटों का काम पूरा कर दिया। अब यूनीफॉर्म दिलाना उनको जिम्मेदारी नहीं अभिभावकों से जितना हो सकता है कह दिया जाता है। बच्चे ठंड में ठुठरे तो किस काम का बजट कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है। अगर बच्चों को स्वेटर, जूते नहीं मिलेंगे तो बजट जारी कराने का क्या मतलब अफसरों ने कागजी काम पूरा करके अपना पल्ला झाड़ लिया।
अधिकतर चीजें निर्धारित दामों से है महंगी जूते और कपड़ों में जीएसटी बढ़ी है। बाजार में एक यूनीफॉर्म 350 से 400 रुपये के बीच बैठ रही है जबकि बजट में दो जोड़ी के लिए 600 रुपये मिले हैं बग के लिए 100 रुपये मिले जबकि एक औसत दर्जे के बैग की कीमत 150 रुपये से ऊपर बैठ रही है। यही हाल जूते और स्वेटर का है। इसलिए अभिभावक इन चीजों को नहीं खरीद पा रहे।
किस चीज के लिए कितना मिला पैसा
दोगड़ी ड्रेस 600/ स्कूल ग – 100
एक जोड़ी जूते 175
मोजे – 25
स्वेटर
-200
सबको बजट भी नहीं मिला : विभाग भले ही 80 फीसदी का दावा कर रहा हो लेकिन स्कूलों का कहना है कि बमुश्किल 60 फीसदी अभिभावकों के खाते में पैसा पहुंचा है।
डीबीटी के माध्यम से 80 अभिभावकों के खाते में पैसा भेजा जा चुका है। प्रति बच्चे 1100 रुपये दिए गए हैं। शिक्षकों को निर्देश दिए हैं कि अभिभावकों से संपर्क कर जल्द यूनीफॉर्म, जूते और स्वेटर बच्चों को दिलवाएं।
-चंद्रकेश सिंह, बीएसए