गोरखपुर, । हैप्पीनेस पाठ्यक्रम कहानी, गतिविधि व अभिव्यक्ति आधारित होगा। इसके हर पाठ में यह तीनों एक-दूसरे से जुड़े होंगे। जीवन के किसी भी मूल्य तक पहुंचना उस पाठ का उद्देश्य होगा। ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी प्रदेश के 35 शिक्षकों को सौंपी गई है, जिसमें सर्वाधिक सात शिक्षक गोरखपुर के हैं। शिक्षकों की कक्षावार टीम आनलाइन-आफलाइन सत्रों और विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार करेगी। कोशिश यह है कि मार्च तक किताबें प्रकाशित होकर आ जाएं, जिससे चयनित जनपदों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम एक अप्रैल 2022 से लागू हो सके।
सीमैट में हुई कार्यशाला के बाद पाठ्यक्रम तैयार करने की बनी रणनीति
राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट), प्रयागराज में 13 से 18 दिसंबर तक चयनित शिक्षकों की कार्यशाला हुई और पाठ्यक्रम तैयार करने की रणनीति तय की गई। कार्यशाला में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली व उत्तराखंड में चल रहे हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की पुस्तकों की समीक्षा रिपोर्ट पर चर्चा हुई और उसमें इंगित कमियों को दूरकर उत्तर प्रदेश में परिमार्जित पाठ्यक्रम तैयार करने का निर्णय लिया गया। हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के विशेषज्ञ श्रवण शुक्ला ने बताया कि अन्य राज्यों के पाठ्यक्रमों में शिक्षण विधा के प्रयोगों में तालमेल नहीं है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए जीवन मूल्यों को केंद्र में रखते हुए उसके अनुसार पाठ तैयार किए जाएंगे। अभिव्यक्ति संबंधी प्रश्न भी ऐसे होंगे, जिससे अधिक से अधिक ब’चे उत्तर के जरिए अपने भाव व्यक्त कर सकें।
गोरखपुर के सात समेत प्रदेश के 35 अध्यापक तैयार करेंगे पाठ्यक्रम
नए पाठ्यक्रम की मूल्यांकन पद्धति में भी बदलाव किया जाएगा, जिसमें स्व मूल्यांकन के विविध आयाम होंगे। अभी तक जिन प्रदेशों में पाठ्यक्रम लागू है, वहां मूल्यांकन की कोई स्पष्ट अवधारणा नहीं है। नये मूल्यांकन से यह लाभ होगा कि ब’चे दबाव मुक्त होकर प्रश्नों का सही उत्तर दे सकेंगे। पहले चरण में जहां यह पाठ्यक्रम लागू होना है, उन स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक प्रतिदिन एक क्लास हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की होगी। इसके लिए प्रत्येक स्कूल से एक शिक्षक को प्रशिक्षित किया जाएगा।
पाठ्यक्रम तैयार करने में सहयोग करेंगे गोरखपुर के ये शिक्षक
गोरखपुर के परिषदीय स्कूलों के पांच शिक्षक अभय कुमार पाठक, सुधीर कुमार मिश्र, मनोज कुमार श्रीवास्तव, यतींद्र कुमार गुप्ता, प्रवीण कुमार मिश्र बतौर प्रतिभागी तथा डायट गोरखपुर के शिक्षक जय प्रकाश ओझा व परिषदीय विद्यालय के शिक्षक श्रवण कुमार शुक्ला विशेषज्ञ के रूप में शामिल हैं।
पहले चरण में प्रदेश के 15 जिलों में लागू होगा पाठ्यक्रम
पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में गोरखपुर समेत प्रदेश के 15 जिलों के 150 स्कूलों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम लागू किए जाएंगे। इन जिलों में गोरखपुर-बस्ती मंडल के देवरिया, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर के साथ लखनऊ, वाराणसी, मुरादाबाद, प्रयागराज, अमेठी, अयोध्या, मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, मथुरा, झांसी व चित्रकूट के स्कूल शामिल होंगे।
क्या है हैप्पीनेस पाठ्यक्रम
हैप्पीनेस बच्चों को खुश रखने का पाठ्यक्रम है। प्रसन्नतापूर्वक जीने के लिए जिन-जिन चीजों को समझना पड़ता है, वह सभी मुद्दे इसमें शामिल किए जाते हैं। विश्वास, सम्मान, कृतज्ञता, ममता व स्नेह जैसे पांच महत्वपूर्ण मूल्य इसमें समाहित होते हैं। इस पाठ्यक्रम के जितने भी सत्र होंगे, उनमें इन्हीं बिंदुओं को समाहित किया जाएगा।