समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) परीक्षा 2013 और 2014 की जांच में सीबीआई को कई अन्य गड़बड़ियों के सुराग भी मिल हैं। ओएमआर शीट बदले जाने के साथ ही कॉपियों की जांच में अंकों से हेरफेर का मामला भी सामना आया है। सीबीआई जल्द ही मामले में एफआईआर दर्ज करा सकती है। परीक्षाओं में धांधली को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के कुछ कर्मचारियों के साथ पूर्व परीक्षा नियंत्रक भी सीबीआई के निशाने पर हैं।
सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की भर्ती परीक्षाओं की जांच कर रही सीबीआई को आरओ/एआरओ परीक्षा-2013 में कम से कम 65 कॉपियां ऐसी मिली हैं, जिनमें नंबरों का हेरफेर किया गया। वहीं, शिकायतकर्ताओं के बयान के आधार पर हुई जांच में ओएमआर शीट बदले जाने के सुबूत सीबीआई को पहले ही मिल चुके हैं। रविवार को भी सीबीआई को गोविंदपुर स्थित कैंप कार्यालय में हलचल रही और शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए गए।
100 से अधिक ओएमआर शीट बदले जाने के भी मिले हैं साक्ष्य
सूत्रों का कहना है कि सीबीआई को 100 से अधिक ओएमआर शीट बदले जाने के साक्ष्य भी मिले हैं। इन सुबूतों के आधार पर ही आयोग के तत्कालीन कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। आरओ/एआरओ-2013 का परिणाम आठ अगस्त 2015 और आरओ/एआरओ-2014 का परिणाम 28 नवंबर 2016 को जारी किया गया था। इन परीक्षाओं के दौरान परीक्षा नियंत्रक के पद पर तैनात रहे प्रभुनाथ के खिलाफ सीबीआई पहले ही अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2010 के मामले में एफआईआर दर्ज कर चुकी है।
अभ्यर्थियों ने कार्रवाई न होने पर उठाए सवाल
सूत्रों का कहना है कि आयोग के कुछ कर्मचारियों के साथ पूर्व परीक्षा नियंत्रक भी सीबीआई के निशाने पर हैं। वहीं, संदिग्ध चयनित अभ्यर्थियों को पूछताछ के लिए सीबीआई के दिल्ली स्थित मुख्यालय में पहले ही तलब किया जा चुका है। उधर, प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिमि के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि शिकायत करने वाले अभ्यर्थियों को सीबीआई जांच से भरोसा उठने लगा हैं, क्योंकि दोषियों को चिह्नित किए जाने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।