कोरोना महामारी के चलते शासन ने सरकारी दफ्तरों में रोस्टर के अनुसार 50 फीसदी कर्मचारियों को बुलाने के निर्देश दिए हैं लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसे माहौल में भी शिक्षकों पर करवाई करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। बल्कि स्कूलों में शिक्षकों की शत प्रतिशत उपस्थिति को जांचने के लिए अपने अधीनस्थों को जिम्मेदारी दी है। विभागीय सूत्रों की मानें तो शुक्रवार को बीएसए के निर्देश पर कई अलग-अलग ब्लॉकों में स्कूलों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान लगभग 100 से ज्यादा शिक्षक स्कूल में नहीं मिले। ऐसे समय में बीएसए की और से स्कूलों का निरीक्षण कराए जाने से शिक्षकों में आक्रोश है। शिक्षकों ने स्कूलों में रोस्टर जारी करने की मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि की विभाग की ओर से जारी आदेश अस्पष्ट है। इस कारण शिक्षकों में संशय की स्थिति बनी हुई है।
यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह का कहना है कि प्रदेश में सभी स्तर के विद्यालय 30 जनवरी तक बंद हैं। ऐसे में बेसिक के शिक्षक भीषण ठंड के दिनों में विद्यालय जाकर कर विभाग के सभी कार्य जैसे वैक्सीन टीकारण, 14 से 17 वर्ष तक के बच्चों का सर्वे, राशन वितरण सहित समय पर पूर्ण कर रहा है। इसके बावजूद ऐसे औचक निरीक्षण उचित नहीं है। निरीक्षण में जो शिक्षक अनुपस्थित रहा है मिले हैं या जो विद्यालय बंद मिले दो जोड हैं, वह विभाग द्वारा स्पष्ट आदेश न होफमै होने के कारण हुआ है। उन्होंने आरोप फैसला लगाया है कि बेसिक शिक्षा विभाग में के एक आदेश दो तरह से लागू किया पंकज जाता है, जिस आदेश के तहत बेसिक रेल प्रश्न कार्यालय में 50 प्रतिशत उपस्तिथि के मु का रोस्टर लगा हुआ है। अगर किसी जम्मूतव शिक्षक पर कोई कार्यवाही हुई तो गरीबर संगठन कोविड 19 के प्रोटोकॉल 12210 के आदेश के उल्लंघन पर कोर्ट कानपुर जाएगा। यूपी जूनियर हाईस्कूल ( पूर्व साप्ताहि माध्यमिक) शिक्षक संघ के मंडल ईओजी अध्यक्ष डा. विनोद कुमार शर्मा ने से एल शिक्षकों के विरुद्ध इस कार्रवाई पर 12208 नाराजगी व्यक्त कर कहा कि स्कूलों गरीबर के लिए स्पष्ट आदेश जारी हों। ताकि जनवरी शत प्रतिशत शिक्षकों की उपस्थिति जम्मूत स्कूलों में हो सके और किसी प्रकार एक्सप्रेस की भ्रम की स्थिति न रहे।