वाराणसी। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को जिले के निजी स्कूलों में पढ़ने का सपना प्रदेश सरकार ने पूरा कर दिया। मगर शुल्क प्रतिपूर्ति और कॉपी किताब की धनराशि का भुगतान न होने से स्कूल प्रबंधनों के साथ करीब 29,411 बच्चों की मुसीबत बढ़ गई हैं।
अभिभावकों का कहना है कि पिछले दो सालों से वित्तीय सहायता नहीं मिली है। ऐसे में अभिभावक उधार और जुगाड़ के सहारे भविष्य संवारने में लगे है। आरटीई के तहत बच्चों के अभिभावकों को यूनिफार्म व किताबों के लिए पांच हजार रुपये दिए जाते हैं। वर्ष 2021-22 में आरटीई के तहत 8752 बच्चों को स्कूल आवंटित किया गया है। लेकिन जिले के 29,411 बच्चों को वित्तीय सहायता के 14 करोड़ 70 लाख रुपये अधर में है।
जिले में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में कुल 30,556 छात्र पंजीकृत है। 2020-21 में नवप्रवेशी 1905 बच्चों में 1145 बच्चों के लिए शासन ने मार्च 2020 में 99 लाख की धनराशि अवमुक्त की थी। जिसके बाद से 29 हजार बच्चों के अभिभावकों को अब तक रुपये नहीं मिले।
केस वन
लहरतारा निवासी सर्वेश कुमार शर्मा की दो बेटियां आरटीई के तहत निजी स्कूल में पढ़ाई करती हैं। एक बच्ची कक्षा एक में है वहीं छोटी बेटी यूकेजी में पढ़ाई कर रही है। कोरोना के कारण उधार लेके किताबें तो खरीद ली, लेकिन अब ड्रेस के लिए पैसे नहीं जुट पा रहे हैं।
केस दो
महेशपुर निवासी लक्ष्मण मौर्या के बेटे का निजी स्कूल में इसी साल प्रवेश हुआ है। लेकिन साल भर के इंतजार के बाद भी बच्चे के कॉपी किताब और यूनिफार्म का पैसा नहीं मिल सका है। स्कूल के दबाव देने पर किसी तरह किताबें तो खरीद लीं, लेकिन ड्रेस के लिए पैसा जुटा पाना मुश्किल हो रहा है।
वर्जन
आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले स्कूलों से सूचना एकत्र कर शासन को बजट के लिए प्रेषित किया गया है। स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि शुल्क प्रतिपूर्ति के अभाव में किसी बच्चे को शिक्षा के अधिकार से दूर न करें। – राकेश सिंह, बीएसए