साहब! गठिया का रोगी हूं। ठंड में घुटने बहुत दर्द करते हैं, उठ-बैठ नहीं जाता है, चुनाव में ड्यूटी लग गई है, कटवा दीजिए, बहुत आभारी रहूंगा। मंगलवार की दोपहर यह अर्जी लेकर एक शिक्षक, उप जिला निर्वाचन कार्यालय पहुंचे थे।मगर, चुनाव से ड्यूटी कटवाने के लिए इस तरह की दलीलों के साथ रोजाना कई कर्मचारी कलेक्ट्रेट पहुंच रहे हैं।
कोई जिला निर्वाचन कार्यालय में अनुरोध करता सुना जा रहा है तो, कोई उप जिला निर्वाचन कार्यालय और जिला निर्वाचन कार्यालय में। मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचें बिजली विभाग के एक कर्मचारी का कहना था कि उनकी भतीजी की शादी है। वे ही अभिभावक हैं। भाई शुरू से ही बाहर रहकर नौकरी करते हैं। इसी तरह बेसिक शिक्षा विभाग के ही एक अन्य शिक्षक हाथ में डॉक्टर की ढेर सारी पर्चियां लिए दलील देते सुने गए कि उन्हें बीपी और शुगर है। ठंड में दिक्कत बढ़ जाती है।
दरअसल, विधानसभा चुनाव के लिए 27 जनवरी से दो फरवरी तक मतदान कार्मिकों का प्रथम चरण का प्रशिक्षण होने जा रहा है। इसके लिए चुनाव ड्यूटी आदेश जारी हो चुके हैं। नतीजतन, ड्यूटी कटवाने वाले दौड़ लगानी भी शुरू कर दिए हैं। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव की ही तरह इस बार विधानसभा चुनाव में भी डीएम ने सीडीओ की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। इसमें चिकित्सा विभाग के डॉक्टर भी हैं। जो मतदान कार्मिक ड्यूटी कटवाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें इसी कमेटी के पास भेजा जा रहा है।
स्वास्थ्य संबंधी मामलों में कमेटी के डॉक्टर परीक्षण कर रिपोर्ट लगाएंगे कि वास्तव में संबंधित आवेदक बीमार है या नहीं। यदि वह बीमार पाया गया तो उसकी ड्यूटी कट जाएंगी। इसी तरह घर में शादी समेत अन्य जरूरी मामलों में कमेटी विचार-विमर्श करेगी कि ड्यूटी काटना जरूरी है या नहीं।
डीएम विजय किरन आनंद का कहना है कि यदि कोई कर्मचारी वास्तव में बीमार है या फिर उसके बेटे-बेटी की शादी है तो उसके आवेदन पर पूरी सहानुभूतिपूर्वक के साथ विचार किया जएगा। मगर, बहानेबाजी नहीं चलेगी।