शराब माफियाओं के सामने बुरी तरह फेल हो चुके पुलिस तंत्र के बाद अब बिहार सरकार की तरफ से शिक्षक तंत्र पर दांंव खेला गया है। बिहार के सभी शिक्षकों को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वो शराब माफियाओं और शराबियों की सूचनाएं दें। ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार का ये दांव माफियाओं को पटखनी देता है।
बिहार के सरकारी स्कूलों के गुरुजी अब शराब पीने व बेचने वालों पर नजर रखेंगे। उनकी पहचान करेंगे। पहचान होते ही इसकी सूचना मद्य निषेध विभाग को देंगे। साथ ही, नशापान नहीं करने को लेकर लोगों को जागरूक भी करेंगे। शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को पहली से लेकर 12वीं तक के स्कूलों के सभी गुरुजी तथा स्कूल प्रधानों को यह नया टास्क सौंपा है।
विदित हो कि प्रदेश में शराबबंदी व पूर्ण नशाबंदी लागू करने में शिक्षा विभाग ने महती आरंभिक भूमिका निभाई थी। यही विभाग शराबबंदी को लेकर राज्यभर में चले जागरूकता अभियान का नोडल था, साथ ही शिक्षा विभाग के ही संयोजकत्व में मानव शृंखला का विश्व रेकार्ड बना था। अब एक बार फिर शराबबंदी को सफल बनाने को लेकर शिक्षा विभाग सजग हुआ है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने शुक्रवार को सभी क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक (आरडीडीई), सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) तथा सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) को नशामुक्ति अभियान को सफल बनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने जिलों को इस बाबत भेजे पत्र में कहा है कि ऐसी सूचना मिल रही है कि अभी भी कुछ लोग चोरी-छिपे शराब का सेवन कर रहे हैं। इसका दुष्परिणाम शराब पीने वाले तथा उनके परिवार पर पड़ रहा है। ऐसे में इसे रोकना अति आवश्यक है। इस संबंध में प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में विद्यालय शिक्षा समितियों की बैठक बुलाकर नशामुक्ति के संदर्भ में आवश्यक जानकारी दी जाय।