इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 850 अनुदेशकों की 2015 और 2016 की भर्ती पुराने नियमों के आधार पर पूरी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इन पदों पर परीक्षा कराने का आदेश रद्द कर दिया है। साथ ही कहा है कि भर्ती शैक्षणिक योग्यता और साक्षात्कार से ही पूरी होगी।
हाईकोर्ट ने कहा है कि चयन करने वाली संस्था को चयन प्रक्रिया में बदलाव करने का अधिकार नहीं है और आयोग विज्ञापन के समय लागू नियमों के तहत भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा विज्ञापित 2015 और 2016 की कुल 850 अनुदेशकों की भर्ती 2014 की नियमावली के अनुसार यथाशीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया है।
2014 की नियमावली में शैक्षणिक योग्यता व साक्षात्कार से भर्ती किए जाने की व्यवस्था है। कोर्ट ने आयोग द्वारा भर्ती परीक्षा कराने के सरकार को भेजे 28 जनवरी 2020 के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है। साथ ही विशेष सचिव के तीन नवंबर 2021 के आदेश को भी रद्द कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने अरविंद कुमार और तीन अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि सरकार ने 2020 और 2021 की अनुदेशकों की भर्ती 2017 की नियमावली के तहत परीक्षा से कराने का आदेश दिया है। जो इन भर्तियों पर लागू नहीं होता। याची अधिवक्ता की ओर से तर्क दिया कि इस भर्ती के दो अन्य पदों को पहले ही भरा जा चुका है। शेष 850 पदों की भर्ती प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। अब शैक्षणिक योग्यता और साक्षात्कार के बजाय परीक्षा नहीं कराई जा सकती।