लखनऊ ।अनुदेशकों, रसोइयों, आशा बहुओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सहायिकाओं का मानदेय बढ़ गया लेकिन शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। राज्य सरकार ने अगस्त 2021 में अनुपूरक बजट में इन सबके मानदेय बढ़ाने का ऐलान किया था लेकिन अभी तक घोषणा न होने से प्रदेश के 1.47 लाख शिक्षामित्र मानदेय बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं।बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षामित्रों का मानदेय 1500 रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था। प्रदेश सरकार ने मानदेय बढ़ाने से पहले सभी कर्मचारियों के संगठनों से मुलाकात कर उनकी मुश्किलों और मांगों को सुना था। इसी क्रम में शिक्षामित्रों के प्रतिनिधि भी बुलाए गए। वर्तमान में प्रदेश में शिक्षामित्रों के लगभग एक दर्जन संगठन हैं और ये सब बैठक में पहुंचे। इनमें आपस में गुटबाजी भी बहुत है। इनके बीच आपसी रार के चलते मांगों पर सहमति नहीं बन पाई। अब इस पर मुख्यमंत्री को अंतिम निर्णय लेना है।आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा है कि राज्य सरकार शिक्षामित्रों का भी सम्मानजनक मानदेय बढ़ा दे। एक आम शिक्षामित्र पूरी मेहनत से स्कूलों में पढ़ा रहा है और बुनियादी शिक्षा को मजबूत करने में अपना सहयोग दे रहा है।वर्ष 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में शिक्षामित्रों का प्रकरण बहुत बड़ा मुद्दा था। वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने अपना वादा निभाते हुए शिक्षामित्रों के समायोजन का निर्णय लिया था। हाईकोर्ट ने समायोजन रद्द कर दिया तब 2017 में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में इस मामले का कानूनी दायरे में समाधान करने की घोषणा की थी। हालांकि कई बार की बैठकों के बाद भी इसका समाधान नहीं निकल पाया है।
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