लखनऊ। यूपी में पुरानी पेंशन योजना और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को लेकर शासन व कर्मचारियों के बीच रस्साकशी तेज हो गई है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा द्वारा एनपीएस को ही बेहतर बताए जाने के बाद कर्मचारी संगठन लामबंद हो गए हैं। वह पुरानी पेंशन योजना को ही बेहतर बता रहे हैं।
आल टीचर्स एम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु का कहना है कि एनपीएस में यह भी विकल्प है कि अगर कोई चाहे तो पुरानी पेंशन योजना छोड़कर इसे चुन सकता है। प्रदेश में अब तक अप्रैल वर्ष 2005 के पहले नियुक्त हुए एक भी अधिकारी व कर्मचारी ने इसे नहीं चुना। अगर यह इतनी अच्छी है तो सेवानिवृत्त होने के करीब जो भी आइएएस अधिकारी हैं वह पुरानी पेंशन योजना छोड़कर एनपीएस चुन लें। उन्होंने कहा कि इसमें सब कुछ शेयर मार्केट पर निर्भर करता है और यह जोखिम भरा काम है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी कहते हैं कि शेयर मार्केट में जिन कंपनियों में पैसा लगाया गया है, उसमें से एक कंपनी सात बार डिफाल्टर घोषित की जा चुकी है। फिर एनपीएस में 10 प्रतिशत धन सरकारी कर्मचारी अपने वेतन से देता है और 14 प्रतिशत धन सरकार देती है। सरकार अपना हिस्सा समय पर नहीं जमा करती। पुरानी पेंशन में कोई धनराशि जमा करने की जरूरत नहीं होती। सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरनाथ यादव ने भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग की है।