प्रयागराज : हाल ही में संपन्न हुई टीईटी में नकल कराने का ठेका लेने वाले डीआईओएस कार्यालय के एक लिपिक समेत कई विद्यालयों के प्रबंधकों को पुलिस ने भारी भरकम रुपयों के साथ गिरफ्तार कर भंडाफोड़ कर किया। मामला उजागर होने पर डीएम ने एडीएम प्रशासन से जांच करवाई। जिसमें डीआईओएस की भी संलिप्तता पाई गई है। ऐसे में डीएम ने डीआईओएस के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन और चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजा है।
जिले में 23 जनवरी को टीईटी आयोजित की गई थी। परीक्षा को पास कर शिक्षक बनने की चाह रखने वालों ने नकल माफियाओं से संपर्क किया और उन्हें ठेका दे दिया। परीक्षा से पहले ही रामपुर जिला सहित अन्य क्षेत्रों के नकल माफिया जिले में सक्रिय हो गए और स्कूल के प्रबंधकों से साठगांठ करके नकल कराने की रणनीति तैयार कर ली। उधर, नकल माफियाओं के सक्रियता का इनपुट एसपी अनुराग आर्य को हुई तो वे पुलिस टीम लगाकर 23 जनवरी की सुबह से ही शहर के होटल और लाज में ठहरे आरोपियों को उठाने लगे। परीक्षा समाप्त होने के दूसरे दिन ही पुलिस ने 22 आरोपियों को गिरफ्तार कर इनके पास से 2.70 लाख रुपये नगद, 48.50 लाख रुपये का चेक, दो लग्जरी कार और नकल माफियाओं के संबंध में लिखे गए महत्वपूर्ण नोट्स वाली डायरी बरामद की। गिरफ्तार आरोपियों में डीआईओएस कार्यालय में तैनात लिपिक और कई विद्यालयों के प्रबंधक भी शामिल हैं। पुलिस के खुलासे के बाद डीएम ने पूरे मामले की जांच एडीएम प्रशासन अनिल कुमार मिश्रा से करवाई। एडीएम की जांच में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) भी दोषी पाए गए। एडीएम की रिपोर्ट पर डीएम ने डीआईओएस के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन और चुनाव आयोग को पत्र भेजा है।
कार और रुपये का दिया जा रहा था लालच
टीईटी परीक्षा में रुपये लेकर नकल कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करके पुलिस ने 22 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों में कई बड़े विद्यालयों के प्रबंधक या अध्यापक भी शामिल हैं। प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपियों की तरफ से बड़े पैमाने पर रिश्वत, नई लग्जरी कार समेत अन्य प्रलोभन दिया जा रहा था, लेकिन सख्ती के चलते किसी की एक न चली और इस रैकेट का भंडाफोड़ हो गया।
क्या बोले अधिकारी?
आजमगढ़ के जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी ने बताया कि टीईटी परीक्षा में नकल कराने के आरोप में डीआईओएस कार्यालय का एक कर्मचारी गिरफ्तार होने पर एडीएम से पूरे मामले की जांच कराई गई। इसमें जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) की भी भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन और चुनाव आयोग को पत्र लिखा गया है।