प्रतापगढ़। विद्यालयों में काम करने वाले रसोइया को वेतन देने की बात तो दूर, सरकार के घोषणा के बाद भी मानदेय नहीं बढ़ाया गया है। इससे जिले की 7032 रसोइयों के उम्मीदों पर पानी फिर गया है। हालांकि कोरोना काल में रसोइयां को हटाने पर रोक लगाने से वह खुश हैं।
जिले के कक्षा एक से आठ तक के प्राइमरी मिडिल, मदरसा, राजकीय और सहायता प्राप्त 3264 स्कूलों में पढ़ने वाले 2,84,159 बच्चों को पका- पकाया भोजन परोसा जा रहा है। यह जिम्मेदारी स्कूलों में तैनात 7032 रसोइयां निभा रहे हैं। यह सुबह स्कूलों में पहुंचकर बच्चों को पौष्टिक भोजन तैयार करने के साथ । रसोई और बर्तन की सफाई भी करते हैं। इस कार्य में लगभग पूरा दिन लग जाता हैं और उन्हें बदले में सिर्फ 1500 रुपये प्रति माह मिलते हैं। नौनिहालों की सेहत का ख्याल रखने वाले रसोइयों ने उच्च न्यायालय प्रयागराज में वाद दायर कर मानदेय के स्थान पर वेतन की मांग की थी, न्यायालय याची के वाद को स्वीकार करते हुए प्रमुख सचिव से उचित वेतन भुगतान करने का आदेश सुनाया था। शासन ने इस आदेश पर अमल तो नहीं किया, मगर खुश करने के लिए 500 रुपये प्रतिमाह मानदेय बढ़ाने की घोषणा कर दी।
आलम यह है कि अभी तक मानदेय बढ़ाने का आदेश विभाग में नहीं आया है। इससे रसोइयों की उम्मीदें पूरी तरह धूमिल हो गई हैं। हालांकि शासन ने एक पत्र जारी कर कहा है कि कोरोना संक्रमण काल में कोई भी रसोइया हटाया नहीं जाएगा। यह आदेश रसोइयों के लिए राहत भरा है। दरअसल में जब शिक्षासत्र प्रारंभ होता है, तो अधिकांश प्रधानाध्यापक तैनात रसोइयों को हटाकर नए लोगों को तैनाती करना चाहते हैं, मगर शासन का पत्र आने से इस पर विराम लग गया है।
साल में दो बार मिलता है मानदेय
स्कूलों में तैनात रसोइयों को साल में दो बार मानदेय मिलता है। पहला मानदेय दिवाली के आसपास और दूसरा होली के बाद मिलता है। रसोइया हर माह मानदेय मिलने की मांग कर रहे हैं, मगर विभाग इस मिशन में पूरी तरह फेल है।
जिले के रसोइयों को वेतन देने और 500 रुपये मानेदय बढ़ाने की घोषणा हुई थी, मगर बढ़ा मानदेय भुगतान करने के लिए कोई पत्र नहीं आया है। इसलिए पूर्व में निर्धारित 1500-1500 रुपये का भुगतान किया जा रहा है। मो. इजहार, डीसी, एमडीएम