चुनावी मौसम में सरकार चलाने वाली भाजपा समेत सभी राजनीतिक दल कर्मचारियों के हित में तमाम घोषणाएं कर रहे हैं, लेकिन बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के 3.50 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को पिछले चार महीने से और इतनी ही संख्या में काम करने वाले रसोइओं को 8 महीने से मानदेय न मिलने के मुद्दे पर कोई नहीं बोल रहा है।
इन कार्यकर्ताओं के अक्तूबर के बाद से अब तक मानदेय नहीं मिला है। ऐसे में आंगनाबाड़ी कार्यकर्ताओं का छठ, नया साल मकर संक्रांति, वसंत पंचमी जैसे त्योहार बिना मानदेय के ही बीत गए। इस वजह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में सरकार के खिलाफ नाराजगी व्याप्त है।
बता दें कि बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में तैनात करीब 3.50 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के अलावा करीब 4000 मुख्य सेविकाओं और 897 परियोजना अधिकारियों व 73 जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) को भी अक्तूबर महीने से वेतन नहीं मिले हैं। शासन के अधिकारियों की इस लापरवाही के चलते विभाग के कर्मचारियों में हाहाकार मचा है।
इस संबंध में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के संगठन ने शासन और सरकार के स्तर पर कई बार गुहार लगाया है, लेकिन न तो सरकार ने इनकी आवाज सुनी और न ही मंत्री ने। सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में विभागीय मंत्री को मानदेय भुगतान के लिए फाइल करीब दो महीने पहले ही भेजी गई थी, लेकिन अब तक मानदेय देने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।
आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष वीना गुप्ता का कहना है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य कर्मचारी कोविड ड्यूटी के अलावा चुनाव में भी काम कर रहे हैं, लेकिन उनको कई महीनों से मानदेय और वेतन नहीं दिया जा रहा है। इससे इन कर्मचारियों के समक्ष दूध, दवा, बच्चों की फीस और राशन आदि का संकट खड़ा हो गया है।