वाराणसी: कोरोना के कारण पिछले डेढ़ माह से बंद स्कूल अब खुल गए हैं। लंबी छुट्टी के बाद स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ गई है, लेकिन शिक्षकों की शत प्रतिशत उपस्थिति विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। जिले में करीब साढ़े सात हजार शिक्षकों की कोरोना और चुनाव में ड्यूटी लगाई गई है। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है। कोर्स भी पिछड़ गया है। शिक्षकों की कमी के साथ कोर्स को पूरा करना दोहरी चुनौती बन गई है।
विधानसभा चुनाव में कई शिक्षकों को बीएलओ बनाया गया है। कई शिक्षक व शिक्षा मित्र पर्चियां बांटने में जुटे हैं। 2500 से ज्यादा शिक्षकों की ड्यूटी कोविड वैक्सीनेशन में वेरिफायर व कांटेक्ट ट्रेसिंग में लगाई गई है। सबसे ज्यादा समस्या 32 एकल विद्यालयों में है, जहां शिक्षामित्र पढ़ाई की कमान संभाले हुए हैं। प्रशिक्षण में लगे शिक्षकों का पहला चरण पूरा हो चुका है। सात मार्च को होने वाले चुनाव को लेकर शिक्षक ग्रामीणों को मतदान के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं।
कोरोना के कारण पिछड़ गया कोर्स
पिछले दो साल से कोरोना के कारण स्कूलों को कई बार बंद करना पड़ा है। सत्र 2021-22 की शुरुआत में दूसरी लहर की वजह से स्कूल बंद थे। सितंबर से स्कूलों में भौतिक पठनपाठन शुरू हुआ, लेकिन दिसंबर के आखिर सप्ताह से ठंड और कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी। जिसके बाद स्कूलों को डेढ़ महीने के लिए बंद करना पड़ा था। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के काशी विद्यापीठ ब्लॉक अध्यक्ष रविंद्र कुमार सिंह ने अधिकारियों को बताया था कि ऑनलाइन पढ़ाई सुचारु रूप से न होने के कारण पहले ही बच्चों की पढ़ाई पिछड़ गई है। अब चुनावी बयार में पढ़ाई अधर में है। उन्होंने शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त करने की मांग भी रखी थी।