बजट में बच्चों की पढ़ाई के लिए दौ सौ नए टीवी चैनलों को शुरू करने के ऐलान के बाद सरकार अब इसके अमल में भी तेजी से जुट गई है। फिलहाल इसका जो खाका तैयार किया गया है, उनमें सभी राज्यों और प्रमुख शैक्षणिक एजेंसियों को भी चैनल चलाने का जिम्मा दिया जा सकता है। जिसका इस्तेमाल वह बच्चों को स्थानीय भाषाओं में पढ़ाने में ले सकेंगे। अभी राज्यों के पास बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई समर्पित चैनल नहीं है। ऐसे में इस पूरी पहल को काफी अहम माना जा रहा है।
एक महीने में योजना को अंतिम रूप देने का लक्ष्य
शिक्षा मंत्रालय ने इस पूरी कवायद के बीच राज्यों व शैक्षणिक एजेंसियों के साथ उनकी जरूरतों को लेकर चर्चा शुरू की है। साथ ही महीने भर के भीतर इस पूरी योजना को अंतिम रूप देने का भी लक्ष्य रखा है। वैसे भी सभी राज्यों में मौजूदा समय में स्कूली स्तर पर अलग-अलग शिक्षा बोर्ड है। इनका अलग-अलग पाठ्यक्रम भी है। ऐसे में इन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग ही व्यवस्था तैयार करनी होगी। जिसमें वह सभी क्लास के एक चैनल की व्यवस्था को लागू कर सकें। वन क्लास-वन चैनल की शुरूआत सरकार ने कोरोना संकट काल में शुरू की थी। उस समय सिर्फ बारह चैनल ही शुरू किया गया था। हालांकि जिस तरह से इसकी उपयोगिता सामने आ रही है उनमें आने वाले दिनों में चैनल के जरिए पढ़ाई कराने की और मांग बढ़ सकती है।
पीएम ने योजना तैयार करने का दिया सुझाव
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने भी सोमवार को बजट में शिक्षा और कौशल विकास मंत्रालय से जुड़ी घोषणाओं के अमल पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए अधिकारियों से नए बजट से पहले इसकी पूरी योजना को तैयार करने का सुझाव दिया था। साथ ही कहा था कि पहले बजट फरवरी के अंत तक आता था लेकिन अब इसे एक फरवरी को ही पेश किया जाने लगा है। यह इसलिए किया गया है कि ताकि बजट लागू होने से पहले इसकी योजना बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।