लखनऊ, आशियाना की अर्चना सिंह डेढ़ साल के बेटे आर्या को लेकर स्मृति उपवन पहुंचीं। बेटे को गोद में लिए अर्चना मतदान करवाने के लिए सरोजनी नगर में ड्यूटी की औपचारिकताओं को पूरा करने लगीं। कुछ देर तो आर्या इधर-उधर भीड़ और चहल-पहल देखता रहा। धीरे-धीरे धूप चढ़ी तो बेटा परेशान होकर आखिर में मां के कंधे पर ही सिर रखकर सो गया। सोते हुए बेटे को संभालते और धूप से बचाते हुए भी अर्चना के चेहरे पर ड्यूटी के लिए उत्साह की कोई कमी नहीं थी।
ऐसे ही विकासनगर की रूपम सिंह भी एक साल के बेटे सार्थक को लेकर आईं थीं। पति योगेश की सीतापुर में ड्यूटी लगी है। आस-पास की भीड़ से सार्थक घबराने लगा, मां ने उसे संभाला और ड्यूटी के लिए आगे बढ़ीं। अर्चना और रूपम की तरह ही कई माताएं एक हाथ में बच्चा और दूसरे में जिम्मेदारी का बस्ता लिए हुए थीं।
एक साल के बेटे अखंड को लेकर खुशबू भी ड्यूटी की जानकारी कर रही थीं। बेटे की झुंझलाहट उन्हें परेशान तो कर रही थी, पर वह कर्मपथ पर आगे बढ़ती जा रही थीं। दुबग्गा की रहने वाली ममता सैनी ढाई साल के बेटे अहान को लेकर आईं थीं। अमिता भी अपने बच्चे को लेकर ड्यूटी करने के लिए डटी थीं। सरोजनी नगर की रहने वाली सरिता एक साल के बेटे विक्रांश को लेकर मोहनलालगंज ड्यूटी के लिए आई थीं।
इंदिरानगर के फरीदीनगर निवासी अंजलि द्विवेदी दो साल के बेटे कुशाग्र का हाथ थामे आगे बढ़ रही थीं। गेट से प्रशासनिक भवन तक पहुंचने के दौरान बार-बार अंजलि बेटे कुशाग्र से कह रही थीं, बेटा…बस आ ही गया। भीड़ से बचाने के लिए वह बीच-बीच में बेटे को गोद में भी उठा ले रही थीं। सभी महिलाओं का उत्साह यह बताने के लिए काफी था कि काम के प्रति समर्पण हो तो छोटी-मोटी बाधाएं मायने नहीं रखतीं।