प्रयागराज,इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाक्सो कानून से जुड़े केस में सुनवाई करते हुए अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अपराध कानून को गणित की तरह लागू नहीं किया जा सकता। कानून का इस्तेमाल सार्थक व बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कठोर पाक्सो कानून नाबालिग लड़की को यौनाचार के अपराध से संरक्षण देने के लिए जरूरी है।
पाक्सो कानून कठोर, किन्तु लागू करने में सार्थक दृष्टिकोण जरूरी- हाईकोर्ट
पाक्सो एक्ट के तहत अपराध भले ही गंभीर है लेकिन इसे सार्थक ढंग से लागू किया जाना चाहिए। गैर जिम्मेदाराना रवैए से इसे लागू किया गया तो पीड़िता को अपूरणीय क्षति हो सकती है। ऐसे नासमझ किशोरों का जीवन बर्बाद हो जायेगा जिन्होंने अनजाने में नजदीक आकर प्रेम संबंध बनाए और साथ जीवन बिताने के संकल्प के साथ शादी की। बच्चे का जन्म हुआ। फिर कार्रवाई से पारिवारिक परंपरा व जीवन मूल्यों को समझाने में विफल रहे मां बाप को कुछ हासिल नहीं होगा।
हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूल में साथ पढ़ने वाले नाबालिगों ने घर से भागकर शादी की। बच्चे को जन्म दिया। अब बच्चे को माता पिता के प्यार से दूर रखना कठोर निर्णय होगा। हाई कोर्ट ने अपराध की प्रकृति, सबूतों व विशेष स्थिति पर विचार करते हुए याची की सशर्त जमानत मंजूर कर ली। साथ ही राजकीय बाल कल्याण गृह (बालिका) खुल्दाबाद, प्रयागराज की इंचार्ज को बच्चे सहित पीड़िता को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने खागा फतेहपुर के अतुल मिश्र की जमानत अर्जी को विशेष स्थिति में स्वीकार करते हुए दिया। इससे पहले कोर्ट ने शिकायत कर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था लेकिन नोटिस मिलने के बावजूद कोई जवाब नहीं आया।
अपहरण का केस, फिर पिता के अनुरोध पर क्लोजर रिपोर्ट
17 नवंबर 2019 को खागा थाने में पिता ने नाबालिग लड़की के स्कूल से लापता होने की एफआइआर दर्ज कराई। वह स्कूल से छह नव़बर से घर नहीं लौटी थी। अपहरण करने का आरोप लगाया लेकिन पुलिस सोती रही। दो साल बाद पिता का बयान लिया। उसने कहा कि अब लापता बेटी के बारे में पता चल गया है। उनके जीवन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। पुलिस से केस बंद करने के लिए कहा। पुलिस ने दो मार्च 2021 को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी।
खुशहाल जीवन जी रहे थे, पुलिस ने डाला खलल
चार अक्टूबर 2021 को पिता की सूचना पर पुलिस ने दोनों को चार माह के बच्चे के साथ पकड़ लिया। पति को जेल भेज दिया। लड़की ने माता-पिता के साथ जाने से इन्कार किया तो उसे बाल गृह में रखा गया। जो पुलिस दो साल तक अपहरण के आरोपी की तलाश नहीं कर सकी अचानक सक्रिय हो उठी। जिस युवक ने जाति बंधन तोड़कर दलित लड़की से शादी की। उसके बच्चे को जन्म दिया। दो साल से खुशहाल जीवन जी रहा था, उसे जेल में कैद कर दिया। नाबालिग लड़की की सहमति का कानून की नजर में कोई महत्व नहीं है।फिर भी लड़की का यौन उत्पीडन नहीं किया गया है। वह आज भी अपने पति के साथ रहना चाहती है लेकिन अमानवीय दशा में अबोध बच्चे के साथ बाल गृह में रहने को मजबूर हैं। बेशक पाक्सो कानून कठोर है। किन्तु इसका इस्तेमाल सार्थक दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए।