इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षा अधिनियम के विपरीत जाकर स्कूल प्रबंधन को शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि भर्ती का अधिकार जिला विद्यालय निरीक्षक के पास है।
स्कूल प्रबंधन शिक्षकों की नियुक्ति जिला विद्यालय निरीक्षक के जरिए ही कर सकेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने कृष्ण मोहन तिवारी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में संतोष कुमार सिंह के केस का हवाला दिया है। कहा कि इस तरह के मामले में सर्वोच्च अदालत की पूर्ण खंडपीठ ने पहले ही स्पष्ट आदेश पारित कर दिया है। मामले में 30 जून 1998 को लेक्चरर जय नारायण विश्वकर्मा के सेवानिवृत्ति होने के बाद पद रिक्त हो गया था।
स्कूल प्रबंधन ने यूपी सेकेंड्री एजुकेशन सेलेक्शन बोर्ड के अधिनियमों का पालन किए बिना विज्ञापन निकालकर रिक्त पद पर याची की नियुक्ति कर ली। जबकि, स्कूल प्रबंधन को विज्ञापन निकालने और भर्ती करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार जिला विद्यालय निरीक्षक को है।
मामले में याची ने पहले एकलपीठ के समक्ष मामला उठाया था। इसमें याची ने जिला विद्यालय निरीक्षक प्रयागराज के नियुक्ति रद्द किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी। लेकिन, एकल पीठ ने यूपी सेकेंड्री एजुकेशन सेलेक्शन बोर्ड एक्ट 1982 और यूपी इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट 1921 के नियमों का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी थी। इस पर याची ने विशेष अपील दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी लेकिन दो जजों की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी।