इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि यदि लड़के की आयु 21 वर्ष से कम है तो शादी शून्य नहीं होगी बल्कि शून्यकरणीय मानी जाएगी। यह हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 18 के तहत दंडनीय हो सकती है लेकिन विवाह पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। कोर्ट ने कहा कि बालिग लड़की का अपनी इच्छा से लड़के के साथ जाने पर अपहरण का अपराध नहीं बनता। 18 वर्ष से अधिक आयु की बालिग लड़की को अपनी मर्जी से किसी के साथ रहने व शादी करने का अधिकार है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने प्रतीक्षा सिंह व अन्य की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने पिता की ओर से बेटी के अपहरण के आरोप में लड़के के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया है।
चंदौली जिले के कंडवा थाने में लड़की के पिता की ओर से दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया कि लड़की का अपहरण कर लिया गया है। उसे बेच दिया गया है या मार डाला गया है। प्रतीक्षा सिंह व उसके पति करण मौर्य उर्फ करन सिंह ने याचिका दाखिल करके इसे चुनौती दी। लड़की का कहना था कि वह बालिग है और अपनी मर्जी से उसने शादी की है व पति के साथ रह रही है। उसका अपहरण नहीं किया गया है। एफआईआर निराधार है और अपहरण का कोई अपराध नहीं बनता है इसलिए एफआईआर रद्द की जाए।
कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा तो पिता की ओर से कहा गया कि लडके की आयु 21 वर्ष से कम होने के कारण शादी अवैध है। ऐसे में एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा पांच के अनुसार शादी के लिए लड़की की आयु 18 वर्ष व लड़के की आयु 21 वर्ष होनी चाहिए। हाईस्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार लड़की की आयु 18 वर्ष से अधिक है और लड़के की 21 वर्ष से कम है। दोनों अपनी मर्जी से शादी कर साथ में शांतिपूर्ण जीवन बिता रहे हैं, ऐसे में अपहरण का अपराध नहीं बनता।