Home PRIMARY KA MASTER NEWS जाने बजट को लेकर सरकारी कर्मचारियों को सरकार से क्या थी उम्मीद

जाने बजट को लेकर सरकारी कर्मचारियों को सरकार से क्या थी उम्मीद

by Manju Maurya

प्रयागराज,। आम बजट 2022 पर हर वर्ग के लोग अपनी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। किसी के लिए यह बजट बहुत शानदार है तो किसी के लिए यह निराशाजनक है। जबकि कुछ लोगों ने इसे दूरदर्शी बताया व कुछ लोगों ने उम्मीदों पर खरा न उतरने वाला बजट बता रहे हैं। इस बजट से सरकारी कर्मचारी नाराज हैं। सरकारी कर्मचारी संगठनों ने इस बजट में उनके लिए कुछ भी नहीं मिलने की बात कही।

राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद के अध्यक्ष क्या बोले

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश सचिव व विकास भवन कर्मचारी के अध्यक्ष राजेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि भारत सरकार कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में प्रस्तुत बजट पूरी तरह से कर्मचारियों के लिए निराशाजनक रहा। इस बजट में कर्मचारियों द्वारा यह उम्मीद किया गया था कि इनकम टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी की जाएगी तथा आयकर छूट 80सी में जो वर्तमान में डेढ़ लाख रुपये छूट दी जाती है, उसे बढ़ाकर तीन लाख किया जाएगा। वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट में ऐसा कुछ नहीं किया गया। इसलिए यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक रहा। कर्मचारियों एवं कर्मचारी संगठनों की मांग थी आयकर की सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक शून्य किया जाए। साथ ही 80 सी के तहत जो छूट डेढ़ लाख रुपये की दी जाती है उसे बढ़ाकर तीन लाख किया जाए। हालांकि इस बजट में कर्मचारियों के लिए ऐसा कुछ नहीं किया गया। बजट में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन की भी कोई बात नहीं की गई। इसलिए यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक रहा। आयकर में जो स्लैब वर्तमान में मिल रहा है, वह स्लैब 2014 में जब कर्मचारी छठें वेतन आयोग में वेतन पाते थे तब का था। आज कर्मचारियों को सातवां वेतन आयोग मिल चुका है और उनके वेतन में बढ़ोतरी हो चुकी है। सरकार द्वारा आयकर के स्लैबो में बढ़ोतरी नहीं की गई। इसलिए भारत सरकार की वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक रहा‌।

कर्मचारियों के हित के बारे सरकार को सोचना चाहिए था : मोहम्‍मद आरिफ

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार कर्मचारी संघ के प्रांतीय संयोजक मोहम्मद आरिफ ने कहा कि सरकार का बजट अत्यंत ही निराशाजनक है। बजट के स्लैब में छूट देकर कर्मचारियों के हितों के बारे में भी सोचना चाहिए था।

महिलाओं का भी हाथ खाली : अर्चना सिंह

सुपरवाइजर्स एसोसिएशन आइसीडीएस की जिलाध्‍यक्ष अर्चना सिंह ने कहा कि इस बजट में महिला कर्मचारियों के लिए कोई भी घोषणा न किए जाने पर नाखुश दुख जताया। कहां की बजट में महिला कर्मचारियों के लिए कोई स्थान नहीं दिया गया । बजट पूर्णतया निराशाजनक है। सरकार को महिलाओं की हिस्सेदारी के साथ बजट में उनके लिए स्थान देना अनिवार्य होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

कर्मचारी हितों की बात नहीं : वीरेंद्र कुमार

वीरेंद्र कुमार वर्मा उपाध्यक्ष विकास भवन कर्मचारी महासंघ नए बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस बार का बजट कर्मचारी हित में नहीं है। सरकार को चाहिए था की इनकम टैक्स स्लैब में कुछ छूट देना चाहिए। कई सालों से लगातार छूट ना मिलने के कारण अब सरकारी कर्मचारी बेहद ही नाराज हैं।

कर्मचारी और किससे करें उम्मीद : राग विराग

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा एसोसिएशन के महामंत्री राग विराग ने कहा कि कर्मचारियों के पास शिवाय सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देखने के अलावा और कुछ नहीं होता। आखिर कर्मचारी और किस से उम्मीद करेगा। बजट के माध्यम से ही कर्मचारियों को कुछ मिलना था लेकिन इस बार निराशा ही हाथ लगी।

महंगाई बढ़ रही है, राहत कब मिलेगी : प्रदीप कुमार सिंह

प्रदीप कुमार सिंह मंत्री शिक्षा निदेशालय कर्मचारी संघ ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा पिछले कई वर्षों से आयकर सीमा नहीं बढ़ाई जा रही है। सभी वस्तुओं पर कई प्रकार के कर भी बढ़ा दिए गए हैं । जिससे महंगाई भी चरम पर है। जो की आम जनता के लिए परेशानी बनी हुई है। यह न्यायोचित नहीं है।

सरकार कारपोरेट जगत का रख रही ध्यान : सुभाश पांडेय

सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज संघ के सचिव सुभाष पांडेय ने कहा कि सरकार कारपोरेट जगत को विशेष ध्यान देती है और कर्मचारियों की अनदेखी करती है। उसी तरह सरकार ने बजट को भी प्रस्तुत किया है कारपोरेट टैक्स कम किया गया है। कर्मचारियों के लिए आयकर सीमा नहीं बढ़ाई गई है।

लोकलुभावन है बजट : मनोज पांडेय

इण्डियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज पांडेय ने कहा कि यह पूरी तरह से लोकलुभावन चुनावी बजट हैं, इसमें नौकरी पेशा, मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नया नहीं है। 400 वंदे भारत ट्रेन संचालन की घोषणा भारतीय रेलवे के निजीकरण करने की तरफ बढ़ा हुआ कदम है। रेलवे कर्मचारियों को रेल यात्रा के दौरान पूर्व में मिलने वाली छूट और सुविधाओं की पूरी तरह से समाप्ति है। साथ ही साथ रेलवे में किसानों और उद्योग के कुशल लॉजिस्टिक्स करने की योजना के नाम पर रेलवे स्टेशन को पूंजीपतियों को सौपा जाएगा, सरकार को एनपीएस समाप्त कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करना चाहिए। अगर एनपीएस इतनी ही अच्छी है, तो सांसद, विधायकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ क्यों दिया जा रहा है। उन्हें भी एनपीएस के दायरे में लाना चाहिए।

दूरदर्शी है बजट : टैक्‍स अधिवक्‍ता रवि शंकर

कुछ न्यायालय में स्थाई अधिवक्ता और टैक्स मामलों के जानकार अधिवक्ता रवि शंकर पाण्डेय ने बजट को सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी करार दिया । उन्होंने कहा कि 2022 का यह बजट पूरे हिंदुस्तान को नई दिशा और दशा प्रदान करेगा । इस बजट के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की दूरदर्शिता स्पष्ट झलकती है। डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने से एक तरफ जहां युवाओं को नए रोजगार का अवसर मिलेगा वहीं चिकित्साऔर शिक्षा को मजबूती के साथ नई ऊंचाई प्रदान करेगा । सैन्य व्यवस्था और कृषि के क्षेत्र में अधिक बजट का जारी होना यह दर्शाता है कि हमारा हिंदुस्तान नई ऊंचाइयों को छूने को अग्रसर है।

प्रत्येक वर्ष बड़े टैक्स स्लैब

राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉ रवि भूषण ने कहा कि इनकम टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन न करने से शिक्षक, कर्मचारी, व अन्य टैक्स पेयी के साथ बजट एक धोखा है । हर वर्ष बजट में , टैक्स स्लैब अवश्य बढ़ाना चाहिए। शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत बजट होना चाहिए।

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