Sonebhadra: निपुण भारत अभियान के अंतर्गत फाउंडेशनल लिटरेसी व न्यूमरेसी के चार दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ बृहस्पतिवार को हुआ। बीआरसी परिसर में बीएसए हरिवंश कुमार ने प्रशिक्षण की शुरुआत की।
बीएसए ने बताया कि नई शिक्षा नीति के आलोक में निपुण भारत अभियान के अंतर्गत भारत सरकार ने प्राथमिक शिक्षा में सौ प्रतिशत नामांकन और ड्राप आउट को शून्य करने के उद्देश्य से शैक्षणिक ढांचे में बदलाव किया है। जब शुरुआती दौर में बच्चे को सीखने में परेशानी होती है तो वही छात्र ड्रॉप आउट हो जाते हैं। इन समस्याओं के निराकरण के लिए परिषदीय विद्यालय के सभी प्राथमिक शिक्षकों का चार दिवसीय प्रशिक्षण हो रहा है। प्रशिक्षण समन्वयक बीईओ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि घोरावल बीआरसी पर दो बैचों में 40-40 की संख्या में शिक्षकों का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रशिक्षक के रूप में एआरपी दीनबंधु त्रिपाठी, धर्मराज सिंह, मिथिलेश द्विवेदी शामिल हैं। एआरपी दीनबंधु त्रिपाठी ने बताया कि पहले दिन नई शिक्षा नीति 2020, एफएलएन व निपुण भारत अभियान में साक्षरता व संख्या ज्ञान के बारे में बताया गया।
लंबी छुट्टी के बाद खुले स्कूल, बच्चे भूल गए जोड़ना-घटाना
बदायूं। बृहस्पतिवार को जब सरकारी और प्राइवेट स्कूल पूरी तरह खुले तो बच्चों के पहुंचने से रौनक दिखाई दी। पहले दिन अपेक्षाकृत संख्या कम रही पर बच्चे कई दिन बाद साथियों से मिले तो खूब मस्ती की। खास बात ये रही कि कई बच्चों को परिवार के लोग रोती हुई हालत में स्कूल छोड़ गए तो तमाम बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक सिर पकड़कर बैठ गए, क्योंकि बच्चे लंबी छुट्टी में सामान्य जोड़ घटाना भी भूल गए।
कोरोना की वजह से काफी समय से स्कूल लगातार बंद रहे थे। ऐसे में बच्चों की सीखने की क्षमता पर काफी असर पड़ा है। हालात ये हैं कि अधिकतर बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में कुछ नया सीखने की बजाय अपनी पिछली कक्षाओं में जो सीखा था उसे भी भूल गए हैं। शिक्षकों के अनुसार इसकी मुख्य वजह छात्र-छात्राओं का अध्यापकों से सीधा संवाद न होना है। क्योंकि कहीं पर नेट की दिक्कत तो कहीं पर परिवार में एक ही मोबाइल होने की परेशानी के चलते ऑनलाइन कक्षाएं प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाईं।
बृहस्पतिवार को ऐसे ही कई वाकये देखने में आए। बच्चे स्कूलों में पहुंचे तो शिक्षकों ने उनसे पढ़ाई के संबंध में प्रश्न करने शुरू कर दिए। कई बच्चे सामान्य सवालों का जवाब नहीं दे सके। जबकि जब लगातार स्कूल खुलते थे तो उन्हीं प्रश्नों का उत्तर यही छात्र-छात्राएं आसानी के साथ में दे देते थे। ऐसे में अब शिक्षकों की यह परेशानी बढ़ गई है कि वह कक्षाओं में आगे की पढ़ाई कराएं या फिर पुराना पाठ्यक्रम याद कराएं।
पहले दिन कम संख्या में पहुंच छात्र-छात्राएं
काफी समय बाद में जब बृहस्पतिवार को स्कूल खुले, तो पहले दिन छात्र-छात्राओं की संख्या बेहद कम रही। कोविड प्रोटोकॉल का पालन भी कम दिखा।
जब स्कूल लगातार खुल रहे थे, उस समय बच्चों की आई क्यू काफी अच्छी था। अधिकतर छात्र-छात्राएं प्रश्नों के उत्तर आराम से बता देते थे, लेकिन अब वह सही उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। मैंने खुद आज शिक्षण के दौरान इस बात को अच्छी तरह महसूस किया।
-उदयवीर सिंह, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय
स्कूल बंद होने से छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर असर पड़ा है। अब उन्हें नए सिरे से पढ़ाना पड़ रहा है। ऐसे में आगे की पढ़ाई बाधित हो रही है। बच्चों के व्यवहार में भी परिवर्तन दिख रहा है। वह पहले के मुकाबले खेल में समय ज्यादा बर्बाद कर रहे हैं।
-सुशील चौधरी, प्राथमिक विद्यालय दिबहारी
ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कत आती थी, सही से पढ़ाई नहीं हो पाती थी। अब स्कूल खुल गया है। अब बेहतर तरीके से पढ़ाई हो सकेगी।
-उन्नति, कक्षा तीन
अब स्कूल खुल गया है, अच्छा लग रहा है। स्कूल में पढ़ाई करने में अच्छे से समझ में आता है। मोबाइल पर सही से पढ़ाई नहीं हो पा रही थी।
-योग्यता, कक्षा दो