इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी मामलों में अंतरिम आदेशों के विस्तार से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की स्थिति में सुधार हुआ है और दैनिक काम भी सामान्य रूप से होने लगे हैं।
इसके साथ ही अदालतें भी फिजिकल रूप से काम कर रही हैं। लिहाजा अंतरिम आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान याचिका पर विचार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा- भविष्य में ऐसी स्थिति पैदा होगी तो विचार किया जाएगा
उल्लेखनीय है कि 11 जनवरी 2022 को वर्ष 2020 में दर्ज एक स्वत: संज्ञान मामले को बहाल करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट और उसकी अधीनस्थ अदालतों द्वारा पारित सभी अंतरिम आदेशों को राज्य में बढ़ते कोविड-19 महामारी के प्रकोप को देखते हुए 28 फरवरी 2022 तक बढ़ा दिया था।
कोर्ट ने कहा कि 11 जनवरी को उसके आदेश के तहत दिए गए लाभों को संशोधित करने या आगे बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि, यह 28 फरवरी 2022 तक है। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर भविष्य में ऐसी स्थिति पैदा होती है तो उस पर विचार किया जाएगा। इसके साथ ही आवेदनों का निस्तारण कर दिया गया।