नई दिल्ली, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा अपनी सहायक इकाई आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) में किसी भी तरह का अतिरिक्त निवेश बीमा क्षेत्र की कंपनी की वित्तीय हालत पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। हाल ही में दाखिल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) दस्तावेजों से यह जानकारी निकलकर आई है। सार्वजानिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी ने 23 अक्टूबर, 2019 को पॉलिसीधारकों के फंड का उपयोग करके आईडीबीआई बैंक में 4,743 करोड़ रुपये का निवेश किया था। वही बैंक ने 19 दिसंबर, 2020 को पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के जरिये 1,435.1 करोड़ रुपये जुटाए थे।
दस्तावेजों (DRHP) के अनुसार, कुछ शर्तों के अनुपालन के बाद आईडीबीआई बैंक 10 मार्च, 2021 से त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे से बाहर आया था। एलआईसी के दस्तावेजों के मसौदे के अनुसार वित्तीय स्थिति और संचालन के परिणामों को देखते हुए हमारा मानना है कि आईडीबीआई बैंक को इस समय और पूंजी जुटाने की आवश्यकता नहीं है।
बीमा कंपनी ने दस्तावेजों में कहा अगर आईडीबीआई बैंक को लागू 5 साल की अवधि की समाप्ति से पहले अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होती है और यह पूंजी जुटाने में असमर्थ रहता है, तो हमें आईडीबीआई बैंक में अतिरिक्त रकम डालने की जरूरत होगी। इसका हालांकि हमारी वित्तीय स्थिति और परिचालन परिणाम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वही आईडीबीआई बैंक को मिली 5 साल की अवधि नवंबर, 2023 में समाप्त हो जाएगी। एलआईसी को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दो नवंबर, 2018 को आईडीबीआई बैंक में अतिरिक्त इक्विटी शेयरों का अधिग्रहण करने के लिए मंजूरी पत्र दिया था।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की शर्त के अनुसार, बैंक के अधिग्रहण की LIC को जब मंजूरी मिली थी तब यह तय हुआ था कि एलआईसी, जब आईडीबीआई बैंक और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस दोनों की मूल कंपनी बन जाएगी, तो उन्हें अपने Home Loan कारोबार को बंद करना होगा । ( पीटीआइ इनपुट के साथ )