वाराणसी
किसी भी चुनाव में सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मतदान संपन्न कराने से लेकर नई सरकार चुनने तक। दोनों सेक्टर कर्मचारियों की अपनी अपेक्षाएं भी होती हैं। विधानसभा के इस चुनाव में भी उनकी अपेक्षाएं सामने आई हैं। सरकारी कर्मचारी मुख्य रूप से पुरानी पेंशन की बहाली चाहते हैं जबकि निजी क्षेत्र के कर्मचारी चाहते हैं कि सरकार उनके हितों की रक्षा करने वाली स्पष्ट व प्रभावी नीति बनाए।
सरकारी व निजी क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों ने ऐसी ही कुछ प्रमुख मांगें रविवार को ‘हिन्दुस्तान की ओर से आयोजित ‘संवाद में उठाईं। सिगरा स्थित सेंट मरियम कान्वेंट स्कूल में आयोजित संवाद में कई कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बेबाकी से अपनी बातें रखीं।
कर्मचारी-शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच के जिला अध्यक्ष शशिकांत श्रीवास्तव, यूपी मिनिस्ट्रियल एजुकेशनल संघ के मंडलीय अध्यक्ष दीपेंद्र कुमार श्रीवास्तव, डिप्लोमा लैब टेक्नीशियन एसो. के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन कुमार ने कहा कि कर्मचारियों को कैशलेस शिक्षा-चिकित्सा सुविधा मिलनी चाहिए। उनकी नजर में विधायक सर्वसुलभ होना चाहिए। वह कर्मचारियों की मांग को तवज्जो दे।
यूपी आंतरिक लेखा कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष विष्णु प्रसाद गुप्ता, पेंशनर्स एसोसिएशन के सुरेंद्र श्रीवास्तव, नगर निगम कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष वाचस्पति मिश्रा, संजय श्रीवास्तव ने कहा कि एनपीएस में कई खामियां हैं। उसकी गाइडलाइन तक अभी स्पष्ट नहीं है। लिहाजा, सरकार को पुरानी पेंशन लागू करनी चाहिए।
उप्र जलकल कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार वर्मा ने कहा कि स्थानीय निकाय कर्मियों को पूर्णकालिक राज्य कर्मचारी घोषित करना चाहिए। दीवानी न्यायालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के पूर्व सचिव सचिन श्रीवास्तव ने भी कहा कि शिक्षा और चिकित्सा नि:शुल्क होनी चाहिए।
निजी क्षेत्र में कार्यरत हरिकृष्ण, अमित कुमार ने कहा कि कोरोनाकाल में आधा वेतन और नौकरी जाने से हजारों लोगों की मुश्किलें बढ़ीं। इसलिए इस सेक्टर के लिए स्पष्ट नहीं बननी चाहिए। अभिषेक और राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि विधायक ऐसा हो जो सदन में क्षेत्र की बुनियादी समस्याएं रखे।