प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्र चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएसी) की ओर से पीसीएस एवं अन्य प्रमुख भर्ती परीक्षाओं में टॉप-20 चयनित अभ्यर्थियों की कॉपियां वेबसाइट पर सार्वजनिक की जाएं।
साथ ही उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बाद परिणाम घोषित हो जाने पर उत्तर पुस्तिकाओं की स्कैनिंग कराकर डिजिटल रिकॉर्ड के रूप में उन्हें सुरक्षित रखा जाए, ताकि अभ्यर्थी अपने लॉग इन एवं पासवर्ड से कापियों का अवलोकन कर सकें
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने सोशल मीडिया पर अपना मांगपत्र जारी करते हुए आयोग के अध्यक्ष, कर्मचारियों, अधिकारियों और सदस्यों की संपत्ति की जांच हर साल कराए जाने और इसका ब्योरा सार्वजनिक किए जाने की मांग की है। प्रतियोगियों ने स्केलिंग का मुद्दा भी उठाया है।
उनकी मांग है कि स्केलिंग को पहले की तरह लागू किया जाए और जिन मुख्य परीक्षाओं में स्केलिंग नहीं की गई है, उन परीक्षाओं में स्केलिंग लगाकर परीक्षा परिणाम पुन: तैयार किया जाए। छात्र यह भी चाहते हैं कि आयोग अभ्यर्थियों की बायोमेट्रिक उपस्थिति सुनिश्चित करे।
पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आयोग उठाए कदम
उनकी मांग है कि स्केलिंग को पहले की तरह लागू किया जाए और जिन मुख्य परीक्षाओं में स्केलिंग नहीं की गई है, उन परीक्षाओं में स्केलिंग लगाकर परीक्षा परिणाम पुन: तैयार किया जाए। छात्र यह भी चाहते हैं कि आयोग अभ्यर्थियों की बायोमेट्रिक उपस्थिति सुनिश्चित करे।
पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आयोग उठाए कदम
समिति ने सीधी भर्ती पर भी सवाल उठाए हैं। सीधी भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए यह स्पष्ट करने की मांग की है कि किसका चयन किस आधार पर किया जा रहा है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि परीक्षाओं में पारदर्शिता का दावा करने वाले आयोग को परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए बनाए गए मानकों को भी सार्वजनिक करना चाहिए।
आयोग भले ही परीक्षाओं में पारदर्शिता का दावा करे, लेकिन उसकी अपनी ही गलतियों से उसे कटघरे में खड़ा कर रखा है। समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि अगर कॉपियां के मूल्यांकन में कोई गड़बड़ी नहीं की जा रही है तो आयोग को कॉपियां सार्वजनिक करने में क्या दिक्कत है।
पीसीएस 2018 और 2019 की भी हो सीबीआई जांच
प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि आयोग ने पीसीएस-2018 और पीसीएस-2019 में कई बदलाव किए, जिसका नुकसान अभ्यर्थियों को हुआ। स्केलिंग, कटऑफ, मार्कशीट, उत्तरकुंजी जैसे मुद्दों पर आयोग के पास कोई जवाब नहीं है। ऐसे में पीसीएस-2019 और 2020 की भी सीबीआई जांच होनी चाहिए। आयोग की भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच की धीमी गति पर सवाल उठाते हुए जांच में तेजी लाने के लिए एसआईटी के गठन की मांग भी की गई है।
प्रारंभिक परीक्षा में 10 फीसदी अभ्यर्थी हों सफल
प्रतियोगी छात्र चाहते हैं कि प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने वाले कुल अभ्यर्थियों में से 10 फीसदी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाए। पीसीएस की मुख्य परीक्षा में पूर्व की भांति रक्षा अध्ययन एवं समाज कार्य विषय को शामिल किया जाए। परिणाम के दिन ही वेटिंग लिस्ट जारी किया जाए और प्रारंभिक परीक्षा की संशोधित उत्तर कुंजी परिणाम के दिन ही जारी की जाए।
सदस्य, विशेषज्ञ को भी मिले नंबर देने का अधिकार
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से मांग की गई है कि साक्षात्कार परिषद के अध्यक्ष के साथ अन्य सदस्यों एवं विशेषज्ञों को भी अंक प्रदान करने का अधिकार दिया जाए और अंकों का औसत ही अभ्यर्थी के नंबर माने जाएं। इंटरव्यू के दिन आयोग के बेसिक फोन बंद रखे जाएं और मोबाइल फोन जैमर लगाकर निष्क्रिय किए जाएं।