नई दिल्ली: शैक्षणिक दस्तावेज के साथ होने वाली छेड़छाड़ और उनकी जांच पड़ताल से बचने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी शैक्षणिक संस्थानों और राज्य सरकारों को डिजी लाकर से जुड़ने का न्योता दिया है। साथ ही इस पर उपलब्ध डिग्री, मार्कशीट सहित दूसरे दस्तावेज को वैध मानने को भी कहा है। रिपोर्ट के मुताबिक डिजीलाकर पर मौजूदा समय में 40 करोड़ से ज्यादा शैक्षणिक दस्तावेज उपलब्ध हैं जो उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा दोनों से जुड़े हैं।
यूजीसी की यह पहल इसलिए भी अहम है क्योंकि अभी भी बड़ी संख्या में संस्थान डिजीलाकर नेशनल एकेडमिक डिपाजिटरी (एनएडी) से नहीं जुड़े हैं, जबकि इसकी स्थापना ही शैक्षणिक संस्थानों के लिए की गई है। कुछ संस्थानों में डिजीलाकर की ओर से मुहैया कराए जाने वाले दस्तावेज की प्रमाणिकता पर भी संदेह जताया जा रहा है और उनकी जांच पड़ताल के लिए पुरानी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इसमें ज्यादा समय तो लगता ही है सरकार का वह उद्देश्य भी प्रभावित होती है जिसमें डिजिटलीकरण और आनलाइन को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी उद्देश्य के लिए सरकार ने हाल ही में पेश बजट में देश में एक डिजिटल यूनिवर्सिटी भी खोलने का एलान किया है। देशभर के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के निदेशकों सहित सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूली और उच्च शिक्षा सचिवों को लिखे पत्र में यूजीसी ने कहा है कि डिजीलाकर पर मौजूद सभी शैक्षणिक दस्तावेज पूरी तरह से वैध हैं, क्योंकि संस्थानों की ओर से ही सीधे एनएडी पर ये अपलोड किए जाते हैं। ऐसे में डिजीलाकर खाते में उपलब्ध दस्तावेज को वैध स्वीकार करें।
डिजी लाकर केंद्र सरकार के इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय की ओर से तैयार किया गया एक ऐसा डिजिटल प्लेटफार्म है, जहां शैक्षणिक संस्थानों की ओर से अपलोड किए गए शैक्षणिक दस्तावेज को छात्र कभी भी इलेक्ट्रानिक रूप से डिजीलाकर पर अपना खाता खोलकर हासिल कर सकता है। छात्र कहीं से भी अपने इस डिजीलाकर खाते को खोलकर अपने दस्तावेज की प्रमाणित प्रति हासिल कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें कोई शुल्क भी नहीं देना होता है।
’>>यूजीसी ने सभी राज्यों, विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को दिए निर्देश
’>>सभी शैक्षणिक संस्थानों को इस प्लेटफार्म पर जुड़ने का दिया न्योता