वाराणसी: यूपी में दरोगा भर्ती सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इलेक्ट्रानिक डिवाइस से नकल कराने वाले सॉल्वर गिरोह के तीन लोगों को एसटीएफ वाराणसी इकाई ने शनिवार को चितईपुर स्थित नुआंव अंडर पास से गिरफ्तार किया। आरोपियों के कब्जे से दो एसयूवी वाहन, उप निरीक्षक परीक्षा से संबंधित 12 अभ्यर्थियों का प्रवेश पत्र बरामद हुआ
इन तीन आरोपियों पर पुलिस ने इनाम घोषित किया था। एसटीएफ वाराणसी इकाई के एएसपी विनोद कुमार सिंह के अनुसार नवंबर माह 2021 में हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में कुछ अभ्यर्थियों को इलेक्ट्रानिक डिवाइस के साथ परीक्षा केंद्र से गिरफ्तार किया गया था।
इसमें तीन अन्य आरोपियों की पहचान होने पर एसटीएफ फील्ड यूनिट के निरीक्षक पुनीत परिहार की टीम को गिरफ्तारी के लिए लगाया गया था। टीम में शामिल निरीक्षक पुनीत परिहार को सूचना मिली कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पैसा लेकर भर्ती कराने वाला गैंग वाराणसी व आसपास के जनपदों में सक्रिय है।
टीम ने घेराबंदी कर कार सवार मिर्जापुर जिगना के चदेरू चौकठा निवासी धर्मराज यादव, प्रयागराज घूरपुर थाना अंतर्गत सेमरा कलबना निवासी पुष्पराज सिंह और प्रयागराज के सोरांव स्थित खिदिरपुर ईस्माइलगंज निवासी प्रभाकर पटेल को गिरफ्तार किया। धर्मराज और पुष्पराज सिंह पर 15-15 हजार और प्रभाकर पर दस हजार का इनाम पुलिस ने घोषित किया था।
प्रयागराज का रेलकर्मी है गिरोह का कर्ताधर्ता
एसटीएफ की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि सॉल्वर गैंग में अमित यादव भी शामिल है, जो जीएम रेलवे आफिस प्रयागराज में ग्रुप सी में सिग्नल विभाग में नौकरी करता है। अमित यादव के नैनी स्थित घर में ही धर्मराज यादव और अन्य सभी रहते हैं। अमित यादव की पत्नी भी राजकीय मुद्रालय प्रयागराज में नौकरी करती है।
आरोपियों से बरामद चार पहिया वाहन भी अमित यादव की पत्नी के नाम से है। एसटीएफ के एएसपी विनोद कुमार सिंह के अनुसार इसी गैंग में मिर्जापुर विंध्याचल के जोपा गांव निवासी अनिल यादव भी शामिल है। यह भी रेलवे में नौकरी करता है। वर्ष 2016 में पुष्पराज सिंह के भाई मुल्कराज की रेलवे में ग्रुप डी में नौकरी लगी।
मुल्कराज के शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अंकित नाम में त्रुटि थी, जिसके कारण वेतन नहीं मिल रहा था। वेतन के लिए पुष्पराज रेलवे जीएम आफिस गया था, जहां उसकी मुलाकात अनिल यादव से हुई। इस प्रकरण में अनिल यादव ने पुष्पराज का सहयोग किया था, जिसके कारण दोनों में घनिष्ठता हो गई।
रियल एस्टेट में निवेश करते थे काली कमाई
एसटीएफ की तफ्तीश में सामने आया कि अर्जित काले धन को आरोपियों द्वारा रियल एस्टेट में निवेश किया जाता था। प्रभाकर द्वारा भैरवा इंफ्रावर्ल्ड प्रा लि नाम की कंपनी बनाई गई है और पुष्पराज द्वारा अश्वनी इंफ्रा एंड टेक्चर प्रा लि नाम की कंपनी बनायी गई है। रियल स्टेट में अनिल यादव और अमित यादव का भी पैसा लगा है।
ऐसे होती थी नकल की सेटिंग
डिवाइस विग के माध्यम से नकल कराने के तरीके के बारे में आरोपियों ने एसटीएफ को बताया कि अनिल यादव व अमित यादव द्वारा डिवाइस विग उपलब्ध कराई जाती थी। अभ्यर्थी द्वारा दो मोबाइल सिम मंगाया जाता था।
एक मोबाइल सिम विग डिवाइस में लगाई जाती थी, दूसरा सिम परीक्षा केंद्र से दूर मौजूद सॉल्वर के पास मौजूद मोबाइल फोन में लगाया जाता था। डिवाइस युक्त विग के साथ सूक्ष्म माइक्रोफोन अभ्यर्थी के कान के अंदर लगा दिया जाता था। इसके बाद अनिल यादव व अमित यादव द्वारा सॉल्वर को ऑनलाइन प्रश्न उपलब्ध करा दिया जाता था।
सॉल्वर द्वारा अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराए गए सिमयुक्त मोबाइल फोन को एक साथ अपने पास रख लिया जाता था और प्रश्नों का उत्तर एक साथ बोलता था। अमित यादव व अनिल यादव इसकी कीमत लगभग एक लाख रुपये बताते थे। डिवाइस युक्त विग लगाने की जानकारी धर्मराज यादव को है, जिसे अमित यादव ने सिखाया था।